आइकन (प्रतिमान) बनाना हर समाज में एक अपरिहार्य प्रक्रिया है। आइकन इसलिये बनाये जाते हैं कि समाज उनके द्वारा स्थापित मूल्यों को जीवन में उतारे। ये उस खूंटे की मानिंद होते हैं जिन्हें अपने फिसलन के दौरान समाज पकड़ लेता है और अवनति से बच जाता है। लेकिन इसकी दो शर्तें हैं- प्रतिमान बनाने में समाज को बेहद सतर्कता की ज़रूरत होती है और दूसरा, आइकन बनने का शौक हर व्यक्ति में होता है पर उससे अपेक्षा होती है कि वह नैतिक या प्रोफ़ेशनल मूल्यों पर आदर्श प्रस्तुत करे क्योंकि समाज उसकी ओर ही निहारता है।