अपने लेख 'China and India are super-populations-They have to be super responsible' जो thewire.in में प्रकाशित है, में विक्टर गाओ, जो सूचाओ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और चीन और वैश्वीकरण केंद्र के उपाध्यक्ष हैं, ने कहा है कि चीन और भारत को मतभेदों को शांति से हल करना चाहिए।
चीन कभी शांतिपूर्ण नहीं हो सकता, वो फिर धोखा देगा
- विचार
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- जस्टिस मार्कंडेय काटजू
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- 8 Jul, 2020


जस्टिस मार्कंडेय काटजू
आज चीनी साम्राज्यवाद विस्तार कर रहा है और इसलिए विश्व शांति के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इसने विकसित देशों के अलावा एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका की अर्थव्यवस्थाओं में भी प्रवेश कर लिया है। पर्वतीय क्षेत्र जैसे तिब्बत और लद्दाख साइबेरिया की तरह बंजर दिखाई दे सकते हैं लेकिन वे साइबेरिया की ही तरह बहुमूल्य खनिजों और अन्य प्राकृतिक संपदा से भरे हुए हैं। चीन बड़े पैमाने पर बढ़ रहे अपने उद्योग के लिए कच्चे माल की ज़रूरतों को पूरा करने के लालच से वहां अपनी नज़रें गड़ाए हुए है।
वह लिखते हैं- "दोनों देशों को दुनिया के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के बारे में अधिक जागरूक होने की आवश्यकता है और अपने बीच हो रहे टकराव को शांति पूर्वक सुलझा कर विकास को बढ़ावा देने के लिए मजबूती से एक साथ खड़े रहने की ज़रूरत है।"
- Justice Markandey Katju
- India China Border Tension
जस्टिस मार्कंडेय काटजू
जस्टिस मार्कंडेय काटजू भारत के सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं।