पूर्वी लद्दाख के सीमांत इलाक़ों में सैन्य तनातनी ख़त्म करने के लिये गत क़रीब पाँच महीनों से चल रही बातचीत को चीन उलझाते जा रहा है और अब उसने सीमांत इलाक़ों में भारत द्वारा चीनी विदेश मंत्रालय के मुताबिक़ सैन्य इरादों से किये जा रहे ढाँचागत निर्माण का सवाल खड़ा कर पूरे विवाद को नया मोड़ देने की कोशिश की है। चीन ने साफ़ कहा है कि दोनों देशों के बीच जो मौजूदा सैन्य तनाव चल रहा है उसकी जड़ में भारत द्वारा ढाँचागत निर्माण ही वजह है। चीन ने यह ताज़ा कड़ी टिप्पणी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह द्वारा 12 अक्टूबर को 44 पुलों का वीडियो द्वारा किये गए ऑनलाइन उद्घाटन के बाद की है।
चीन ख़ुद कर रहा ढाँचागत निर्माण तो दोष भारत पर क्यों मढ़ रहा है?
- विचार
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- 14 Oct, 2020

पिछले कुछ वक़्त से भारतीय पक्ष ने सीमांत इलाक़ों में ढाँचागत विकास किया है और सैनिक तैनाती को बढ़ा रहा है। दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव की जड़ में यही बात है। चीनी बयान के मुताबिक़ चीन भारत से यह माँग करता है कि दोनों देशों के बीच बनी सहमति को गम्भीरता से लागू करे और शांति व स्थिरता को बढ़ावा देने के लिये ठोस क़दम उठाए।
12 अक्टूबर को सातवें दौर की सैन्य कमांडरों की वार्ता चलने के दौरान ही चीन द्वारा लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के इलाक़ों पर भारत की सम्प्रभुता का सवाल खड़ा कर चीन ने प्रादेशिक और भूभागीय विवाद का मसला फिर उठा कर यह संकेत दिया है कि भारत यदि प्रादेशिक विवाद को दूर करने के लिये चीन के साथ वार्ता कर दोनों पक्षों को मान्य हल निकाले तो सीमांत इलाक़े में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चल रही सैन्य तनातनी की वजह दूर हो सकती है। दो सप्ताह पहले ही चीन ने इस आशय से 1959 में चीन के तत्कालीन प्रधानमंत्री चओ अन लाई द्वारा रखे गए प्रस्ताव को दुहरा कर इसके संकेत दिये थे। 1959 में चीन द्वारा एकतरफ़ा दौर पर रखे गए वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रस्ताव को भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था।