केंद्र सरकार अब ऐसा क़ानून बनाने पर उतारू हो गई है, जो दिल्ली की केजरीवाल-सरकार को गूंगा और बहरा बनाकर ही छोड़ेगी। दिल्ली की यह सरकार अब ‘आप’ पार्टी की सरकार नहीं कहलाएगी। वह होगी, उप-राज्यपाल की सरकार यानी दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार नहीं, बल्कि गृह मंत्रालय के द्वारा नियुक्त अफसर की सरकार! दिल्ली की जनता का इससे बड़ा अपमान क्या होगा? यह तो वैसा ही हुआ, जैसा कि ब्रिटिश राज में होता था। लंदन में थोपे गए वायसराय को ही सरकार माना जाता था और तथाकथित मंत्रिमंडल तो सिर्फ़ हाथी के दांत की तरह होता था।
केंद्र सरकार ने किया दिल्ली की जनता का अपमान!
- विचार
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- 29 Mar, 2025

अब तक दिल्ली की विधानसभा सिर्फ़ तीन मामलों में क़ानून नहीं बना सकती थी— पुलिस, शांति-व्यवस्था और भूमि लेकिन अब हर क़ानून के लिए उसे उप-राज्यपाल से सहमति लेनी होगी। वह किसी भी विधेयक को क़ानून बनने से रोक सकता है। सर्वोच्च न्यायालय के 4 जुलाई 2018 के निर्णय को पढ़ें तो आपको उन अफसरों की बुद्धि पर तरस आने लगेगा, जिन्होंने यह विधेयक तैयार किया है और गृहमंत्री को पकड़ा दिया है।