चीन को पूर्वी लद्दाख के सीमांत भारतीय इलाक़े से पीछे जाने के लिये मजबूर करने के इरादे से सैन्य विकल्प के इस्तेमाल की सम्भावनाओं को लेकर भारत के प्रधान सेनापति जनरल बिपिन रावत के बयान का सामरिक हलकों में गहन विश्लेषण शुरू हो गया है। जनरल रावत के इस बयान को अमल में लाया गया तो चीन के साथ सीमित युद्ध होगा या खुला युद्ध छिड़ जाएगा। क्या चीनी सेना के साथ युद्ध पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा के पार चीनी क़ब्ज़े वाले भारतीय इलाक़ों तक ही सीमित रहेगा या युद्ध की आग चारों ओर फैल जाएगी।
आख़िर कैसा होगा सैन्य विकल्प, क्या युद्ध सीमित रह पाएगा?
- विचार
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- 25 Aug, 2020

सीमा मसलों पर बातचीत के लिये नामजद दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के विशेष प्रतिनिधियों- भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग ई के बीच गत पाँच जुलाई को जो बातचीत हुई थी उससे काफ़ी उम्मीद बनी थी लेकिन अब यहाँ माना जा रहा है कि चीन भारत के साथ विभिन्न स्तरों पर बातचीत का सिलसिला चला कर भारत को उलझाए रखने की रणनीति पर ही चल रहा था।
भारतीय इलाक़े को खाली कराने के लिये चीनी सेना के ख़िलाफ़ किस तरह की सैन्य कार्रवाई की जा सकती है? आख़िर यह सैन्य विकल्प क्या हो सकता है? इन मसलों पर भारत के आला रक्षा कर्णधार पिछले कुछ दिनों से गहन चर्चा कर रहे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, प्रधान सेनापति जनरल बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के बीच सैन्य विकल्पों पर गहन चर्चा पिछले कुछ दिनों से चल रही है।