संत कबीरदास के तमाम दोहे बचपन में पढ़ाए गए थे, जिनका सही मायने स्कूल छोड़ने के बाद ही समझ आया। और एक-एक दोहा जीवन में समय-समय पर राह दिखाता है। जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान; मोल करो तलवार का, पड़ी रहन दो म्यान। इन्हीं में एक ऐसा दोहा है जिसकी याद उस दिन बहुत आई जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बता डाली भगवान हनुमान की जाति।
देखो इस साधु का ज्ञान, बतावे किस जाति के हनुमान
- विचार
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- 4 Dec, 2018
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भगवान हनुमान की जाति बता डाली। आख़िर ऐसी बात ऐसे व्यक्ति के मुँह से कैसे सुनाई पड़ी जो कि स्वयं एक भगवाधारी साधू है?

आख़िर ऐसी बात ऐसे व्यक्ति के मुँह से कैसे सुनाई पड़ी जो स्वयं एक भगवाधारी साधु है। संभवत: भगवा चोले के ऊपर राजनीति का चोला ओढ़ने के बाद और आज भारत के सबसे बड़े प्रदेश की सबसे ऊँची कुर्सी पर विराजमान होने का असर है।
दिमाग में ऐसे सवाल घूम रहे हैं कि क्या राजनीति एक मानसिकता को इतना बहका सकती है कि वह भगवान को भी जाति में बाँधने का प्रयास कर डाले? इससे ज़्यादा हास्यास्पद और क्या हो सकता है कि भगवान की जाति पर डिबेट को हवा देनेवाला और कोई नहीं है, एक साधु है जो कि देश के एक महान हिंदू संप्रदाय का उत्तराधिकारी भी है।
इस संप्रदाय के महान संस्थापक बाबा गोरखनाथ, जिनके विचारों ने गुरु नानक देव और कबीर जैसी प्रसिद्ध शख़्सियतों तक को प्रभावित किया, शायद सपने में भी यह सोच नहीं सकते थे कि एक दिन ऐसा आएगा कि उनके उत्तराधिकारी हनुमान जी को भी एक ख़ास जाति तक सीमित कर देंगे। हो सकता है कि शहरों के नाम भी कुछ बदलते-बदलते उनको लगा हो कि अब जाति के मामले भी कुछ नया किया जाए।