तमाम कवायदों के बावजूद भारत में जाति गंभीर समस्या बनी हुई है। सरकारी नौकरियों से लेकर शिक्षा तक में आरक्षण दिए जाने के बाद सरकारी और निजी क्षेत्र में मलाईदार पदों पर उच्च कही जाने वाली जातियां बनी हुई हैं, जिनकी कुल जनसंख्या में हिस्सेदारी 15 प्रतिशत से कम है।
वंचित वर्गों व जातियों के ललाट पर जाति का ठप्पा लगाना चाहती है बीजेपी
- विचार
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- 25 Aug, 2021
निम्न जातियों को अभी भी जाति असहज करती है और इन जातियों के लोग अपनी जाति का खुलासा करने से हिचकिचाते हैं। वहीं, बीजेपी निम्न जातियों के माथे पर जाति का ठप्पा लगा देने की कवायद में जुटी हुई है।
निम्न जातियों को अभी भी जाति असहज करती है और इन जातियों के लोग अपनी जाति का खुलासा करने से हिचकिचाते हैं। वहीं, बीजेपी निम्न जातियों के माथे पर जाति का ठप्पा लगा देने की कवायद में जुटी हुई है।
असम के 3 सरकारी स्कूलों में जाति पूछे जाने का मामला बीजेपी सरकार की मंशा की एक नजीर है। सामान्यतया विद्यालयों में प्रवेश फार्म में श्रेणी पूछी जाती है, जिसमें सामान्य, ओबीसी, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति का विकल्प होता है। यह पूछे जाने का मकसद इस वर्ग के कोटे के मुताबिक आरक्षण मुहैया कराना होता है।