पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबे समय से चल रही खींचतान ख़त्म होती नज़र आ रही है। वहीं पार्टी में राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन से लेकर उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में तमाम पुराने व नए कांग्रेसियों को साधना और उनसे तालमेल बिठाना कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
कांग्रेस के लिए ख़तरनाक है पार्टी की अंतर्कलह
- विचार
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- 19 Jul, 2021

पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और क्रिकेटर से नेता बने नवजोत सिंह सिद्धू के बीच लंबे समय से चल रही खींचतान ख़त्म होती नज़र आ रही है। इसके बावजूद पार्टी की अंतर्कलह कम होती क्यों नहीं है?
कांग्रेस को हाल फ़िलहाल में तमाम राजनीतिक फ़ैसलों में मुँह की खानी पड़ी है। सबसे पहले मध्य प्रदेश का मसला लेते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया नेहरू-गांधी परिवार के सबसे वफादार सिपाहियों में से एक थे। मध्य प्रदेश में सिंधिया और कमलनाथ की खींचतान में कांग्रेस सरकार गिर गई। कमलनाथ आख़िर तक इस कदर दावे करते रहे, जैसे वह अपनी सरकार बचा ले जाएँगे। जब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस के विधायक ही नहीं, बल्कि उनके मंत्री तक को भी पार्टी से तोड़ने में सफल रहे तब साफ़ हो गया कि कमलनाथ के दावे हवा हवाई थे। न तो वह सिंधिया को अलग-थलग कर पाए, न बीजेपी को तोड़कर सरकार बचाने का जुगाड़ कर पाए। पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व कमलनाथ के साथ गया और पार्टी ने मध्य प्रदेश में सरकार गँवा दी।