उत्तर प्रदेश की राजनीति में इन दिनों नारा चल रहा है – 2017 में राम लहर और 2022 में परशुराम लहर। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इन दिनों यूपी में ब्राह्मणों को मनाने में लगी हैं। समाजवादी पार्टी ने भगवान परशुराम के नाम का सहारा लिया है तो अब बीएसपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपना ब्राह्मण कार्ड खेल दिया है। बीएसपी ने 23 जुलाई से यूपी के 18 मंडलों में ब्राह्मण सम्मेलन करने का ऐलान किया है। इन सम्मेलनों की ज़िम्मेदारी पार्टी ने महासचिव सतीशचन्द्र मिश्र को सौंपी है और शुरुआत होगी अयोध्या से। बीजेपी में अभी ब्राह्मण बनाम ठाकुर राजनीति का विवाद चल रहा है।
क्या यूपी में फिर कोई ब्राह्मण बन पायेगा मुख्यमंत्री?
- विचार
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- 19 Jul, 2021

यूपी में राजपूत और ब्राह्मणों के बीच राजनीतिक दुश्मनी किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ पर बार-बार ठाकुर राजनीति चलाने का आरोप लगता रहा है। कांग्रेस ने 2009 में 21 सीटें जीती थीं, जिनमें से 18 पूर्वी उत्तर प्रदेश से थीं जिसके सात ज़िलों में ब्राह्मण प्रभावी हैं और शायद इसीलिए प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया गया।
मायावती ने कहा कि बीजेपी सरकार में ब्राह्मण दुखी हैं जबकि पिछले चुनाव में उन्होंने बीजेपी को एकतरफ़ा वोट दिया था। इस बार दलित ब्राह्मण फिर एक बार साथ आएँगे। कांग्रेस से बीजेपी में आए जितिन प्रसाद की वजह से हुए राजनीतिक हंगामे का कारण भी जितिन प्रसाद का ब्राह्मण होना है। वरना अपने पिता जितेन्द्र प्रसाद के निधन के बाद राजनीति में आए जितिन लगातार दो लोकसभा चुनाव और एक विधानसभा चुनाव हार चुके हैं।