भारत की सामाजिक न्याय की शक्तियाँ हिंदुत्व की प्रतिक्रांति को पलटने के लिए बेचैन हैं। एक ओर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने 3 अप्रैल को ऑल इंडिया फेडरेशन फार सोशल जस्टिस की ओर से चेन्नई में तकरीबन 20 गैर भाजपा पार्टियां का सम्मेलन करके सामाजिक न्याय के अभियान को आगे बढ़ाने का आह्वान किया है तो दूसरी ओर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने आंबेडकर और कांशीराम की विरासत को अपने संघर्ष से एक मंच पर लाने की गंभीर पहल की है। डॉ. भीमराव आंबेडकर की जयंती (14 अप्रैल) पर उनकी जन्मस्थली महू में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी और चंद्रशेखर आज़ाद के साथ पहुंचना और उससे पहले तीन अप्रैल को रायबरेली के ऊंचाहार में मान्यवर कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण ऐसे प्रयास हैं जो दिखाते हैं कि वे डॉ. आंबेडकर और डॉ. लोहिया के 67 साल पहले किए गए प्रयास को परिणाम की तह तक पहुँचाने में लग गए हैं।