मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद एक चीज़ ज़रूर हुई है। वह यह कि बीजेपी एक चुनावी मशीन में बदल चुकी है। वो एक चुनाव से निपटती है और दूसरे में जुट जाती है। बिहार में चुनाव के नतीजे आये ही थे कि मोदी ने विजयोत्सव समारोह में इशारा कर दिया कि अब उनका दिग्विजय रथ बंगाल की तरफ़ मुड़ गया है।

2014 में जब मोदी देश के प्रधानमंत्री बने थे तब बंगाल में बीजेपी इतनी बड़ी ताक़त के तौर पर उभरेगी, ये कोई सोच भी नहीं सकता था। बीजेपी की छवि उत्तर भारतीय पार्टी की थी। उत्तर भारत के अलावा दक्षिण में सिर्फ़ कर्नाटक में वह अपनी सरकार बना पायी थी और बाकी जगहों पर कहीं नहीं दिखती थी। पर उसके बाद बीजेपी ने अपने पंख फड़फड़ाने शुरू किये और आज न केवल असम में उसकी सरकार है बल्कि पूरे उत्तर-पूर्व में वो बड़ी ताक़त बन गयी है।
बीजेपी मुख्यालय में भाषण देते समय मोदी ने कहा कि जो हिंसा की राजनीति कर रहे हैं वो ठीक बात नहीं है। उनका इशारा बंगाल की तरफ़ था और निशाने पर थीं ममता बनर्जी। बंगाल में पिछले कई महीनों से बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस के राजनीतिक कार्यकर्ताओं की हत्याएं हो रही हैं।
ऐसा नहीं है कि सिर्फ़ बीजेपी के ही कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है पर मोदी ने ममता को इन हत्याओं के लिए ज़िम्मेदार ठहरा कर बीजेपी कार्यकर्ताओं और बंगाल के अवाम को राजनीतिक संदेश दे दिया।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।