दो राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं कि बाज़ी बराबर पर छूटी है। एक राज्य बीजेपी के खाते में गया और एक राज्य इंडिया गठबंधन के खाते में। लेकिन गोदी मीडिया के लिए जम्मू-कश्मीर में बीजेपी को मिली हार का कोई मतलब ही नहीं है। वह हरियाणा में मिली जीत का ढोल बजाकर जम्मू-कश्मीर में बीजेपी की विफलता को नेपथ्य में डालना चाहता है। जबकि यह हार सिर्फ़ बीजेपी की नहीं, आरएसएस की पूरी विचारधारा की है। अनुच्छेद 370 हटाने से लेकर राज्य का दर्जा छीनने तक, मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर के साथ जो-जो किया, उसे इंडिया गठबंधन को जिताकर जनता ने पूरी तरह नकार दिया है।
हरियाणा ‘जीत’ से जम्मू-कश्मीर में वैचारिक हार को ढँकने की कोशिश!
- विचार
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- 9 Oct, 2024

हरियाणा की जीत को पर्दा बनाकर जम्मू-कश्मीर में आरएसएस-बीजेपी की क़रारी वैचारिक पराजय को ढँकने की कोशिश हो रही है। ग़ौर से देखिए तो लोकसभा चुनाव के बाद हुए एनडीए और इंडिया गठबंधन के बीच मुक़ाबला अनिर्णीत रहा है।
हरियाणा में कांग्रेस और बीजेपी के बीच एक फ़ीसदी से भी कम वोटों का अंतर रहा है और वहाँ बीजेपी की जीत चुनावी मैदान में दिख रही जन-भावना के बिलकुल उलट है। किसान, जवान, पहलवान के प्रति बीजेपी सरकार का ग़ुस्सा किसी कल्पना की उपज नहीं था। सारे चुनावी सर्वेक्षण एक ही दिशा में इंगित करते हुए बता रहे थे कि लोगों में बीजेपी सरकार को लेकर भारी नाराज़गी है। स्वतंत्र पत्रकार और पर्यवेक्षक भी यही बता रहे थे लेकिन बीजेपी फिर भी जीत गयी। कांग्रेस ने धाँधली के जो आरोप लगाये हैं, वे काफ़ी गंभीर हैं जिनकी जाँच होना लोकतंत्र पर जनता का भरोसा बनाये रखने के लिए ज़रूरी है।