loader

बीजापुर नक्सली हमला : देश बेचैन था सियासत में व्यस्त रहे राजनेता

बीजापुर में हुए नक्सली हमले में 22 जवानों के शहीद होने और 12 के जख्मी होने से देश स्तब्ध है। यह हमला ऐसे समय में हुआ जब देश के प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री चुनावी सियासत में व्यस्त थे। नक्सलियों ने यह समय चुना है तो यह स्वाभाविक तौर पर उसकी रणनीति है। मगर, इस रणनीति के जवाब में जो त्वरित प्रतिक्रिया होनी चाहिए थी क्या वह सामने आयी? या वह चुनावी सियासत की भेंट चढ़ गयी? 

नक्सली हमले के वक्त कौन कहां किस किस्म की सियासत में व्यस्त है, यह महत्वपूर्ण नहीं है। महत्वपूर्ण यह है कि इस हमले की गंभीरता से नेता किस कदर जुड़े और उन्होंने घटना के बाद कैसी प्रतिक्रिया दी।

ताज़ा ख़बरें

शाम 5.21 बजे मिल गई थी सूचना 

बीजापुर में 3 अप्रैल को दोपहर बाद नक्सली हमला होता है। समाचार एजेंसी एएनआई शाम 5.21 बजे यह खबर जारी कर देती है। छत्तीसगढ़ के डीजीपी डीएम अवस्थी के हवाले से बताया जाता है कि नक्सली हमले में 5 जवानों की मौत हो गयी है और 10 जवान घायल हैं। देश भर की मीडिया की स्क्रीन पर नक्सली हमले की ख़बर ब्रेक हो जाती है। 

रैलियां नहीं रुकीं, चलते रहे रोड शो

देश बेचैन हो जाता है। मगर, सियासतदां नहीं होते। चुनावी रोड शो चलते रहते हैं। रैलियां होती रहती हैं। कोई असम में होता है तो कोई तमिलनाडु, केरल या बंगाल में। न प्रधानमंत्री बेचैन होते हैं, न गृह मंत्री और न ही छत्तीसगढ़ के सीएम। इनमें से कोई भी नेता अपनी चुनावी व्यस्तता को रोकने की जहमत नहीं उठाता।

bijapur naxali hamla 22 security personnel martyred  - Satya Hindi

सवाल ये है कि क्या इन नेताओं को, जिनके हाथों में देश-प्रदेश हैं, यह बात पता नहीं चल पायी कि यह हमला कितना भयावह था? शुरुआती खबरों में भी 5 जवानों की मौत और 10 जवानों का घायल होना घटना की भयावहता को बयां कर रहा था। सीएम भूपेश बघेल और गृह मंत्री अमित शाह को तुरंत चुनावी कार्यक्रम रद्द करने की घोषणा करनी चाहिए थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी यही अपेक्षा देश का हर नागरिक करेगा।आपको जानकर यह आश्चर्य होगा कि गृह मंत्री अमित शाह रात 11 बजकर 10 मिनट पर 4 अप्रैल के चुनावी कार्यक्रम को ट्वीट कर रहे थे।

सबसे पहले छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल की प्रतिक्रियाओं पर गौर करते हैं। 3 अप्रैल की शाम 7 बजकर 5 मिनट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ट्वीट कर नक्सली हमले की घटना पर दुख जताते हैं। वे असम में होते हैं। देर रात 11.52 बजे और 11.57 बजे सीएम बघेल चुनाव प्रचार की तसवीरें ट्वीट और री-ट्वीट कर रहे होते हैं! 

यहां तक कि रात 12 बजकर 2 मिनट पर जब कैलेंडर 4 अप्रैल बता रहा होता है तब भी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल असम में 100 से ज्यादा सीटें जीतने का दावा करते हुए एक चैनल में अपना इंटरव्यू का वीडियो ट्वीट करते हैं! यह कैसी संवेदनशीलता है!   

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 3 अप्रैल की रात 8 बजकर 59 मिनट पर ट्वीट कर नक्सली हमले में मारे गये जवानों को श्रद्धांजलि दी। अंग्रेज़ी में किए गये ट्वीट के अनुवाद पर नजर डालें-

मेरी संवेदना छत्तीसगढ़ में माओवादियों से लड़ते हुए शहीदों के परिवारों के साथ है। बहादुर शहीदों की कुर्बानी कभी भुलायी नहीं जा सकेगी। ईश्वर घायलों को शीघ्र स्वस्थ करें।


नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री

मगर, रात 9 बजकर 57 मिनट पर यानी घंटे भर भी नहीं लगे जब पीएम मोदी ने अपना भाषण ट्वीट कर बताया कि दीदी ने बनारस में चुनाव लड़ने की बात कहकर पराजय स्वीकार कर ली है! दीदी अब बंगाल से बाहर जगह तलाश कर रही हैं!

गृह मंत्री ने अगले दिन दी श्रद्धांजलि 

आश्चर्य की बात है कि गृह मंत्री अमित शाह ने नक्सली हमले में मारे गये जवानों को श्रद्धांजलि देने में सीएम बघेल और पीएम मोदी के मुकाबले 12 घंटे से ज्यादा वक्त लगाया।

  • 4 अप्रैल की सुबह 8.19 बजे अमित शाह ने ट्वीट कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।
  • 3 अप्रैल की रात 11.10 बजे गृह मंत्री अमित शाह 4 अप्रैल का चुनावी कार्यक्रम ट्वीट कर रहे थे। 
  • रात 8.30 बजे केरल में अपने रोड शो की तस्वीरें शेयर कर रहे थे गृह मंत्री।
  • शाम 6.57 बजे कोझिकोडे में रोड शो की तस्वीर साझा कर रहे थे अमित शाह। 

4 अप्रैल की दोपहर 3 बजकर 16 मिनट पर यानी नक्सली हमले में जवानों की शहादत के 24 घंटे बाद अमित शाह अपना बयान ट्वीट करते हैं। 

छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देता हूं। मैं उनके परिवार व देश को विश्वास दिलाता हूं कि जवानों ने देश के लिए जो अपना बलिदान दिया है वो व्यर्थ नहीं जाएगा। नक्सलियों के खिलाफ हमारी लड़ाई और मजबूत होगी व हम इसे परिणाम तक ले जाएंगे।


अमित शाह, केंद्रीय गृह मंत्री

सच यह है कि 3 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह का कोई चुनावी कार्यक्रम रद्द नहीं हुआ। सभी कार्यक्रमों की तसवीरें वे देर रात तक ट्वीट करते रहे। यहां तक कि 4 अप्रैल को असम में अपना चुनावी कार्यक्रम भी ट्वीट किया। शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने और संवेदना प्रकट करने में भी गृह मंत्री ने 4 अप्रैल की सुबह तक का इंतज़ार किया। असम में प्रस्तावित तीन रैलियों में एक रैली को उन्होंने संबोधित भी किया। बाद की दो रैलियां स्थगित कर देश को संदेश दिया गया कि नक्सली हमले के कारण वे अपना चुनावी दौरा रद्द कर रहे हैं। 

हमलावर जिम्मेदार या रणनीतिकार?

बीजापुर के नक्सली हमले की प्रकृति पर गौर करें तो नक्सलियों के खिलाफ अभियान चलाने गये अर्धसैनिक बलों को घेरकर हमला बोला गया है। खुफिया सूचना और तमाम इनपुट लेकर ये जवान नक्सलियों पर कार्रवाई के लिए पहुंचे थे। मगर, उल्टे जवान ही नक्सलियों के शिकार हो गये। जवानों की शहादत ऊंचे स्तर पर रणनीतिक चूक का नतीजा है। किनसे गलती हुई? कौन है इस घटना का जिम्मेदार? इसकी जांच होनी चाहिए। 

विचार से और ख़बरें

आपदा में अवसर खोज लेती है राजनीति

राजनीति हमेशा आपदा को अवसर में बदलने की कोशिशों में लगी होती है। लिहाजा बीजापुर में नक्सली हमले में शहीद हुए जवानों से संवेदना दिखाना उसकी तात्कालिक जरूरत है तो ‘कड़ा संदेश देना’ सियासी जरूरत। मगर, इन सबके बीच चुनावी व्यस्तता को प्राथमिकता देने का सियासी स्वभाव छिपाने की कोशिशें भी की जाती रहेंगी। ऐसी कोशिशों में राजनीतिक झंडे का रंग मायने नहीं रखता। इनमें दोस्ती हो जाती है। 

4 अप्रैल को दोपहर 12 बजकर 8 मिनट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के ट्वीट पर गौर करें “…केंद्रीय गृह मंत्रीजी ने कहा है कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर इस लड़ाई को अवश्य जीतेंगे।” 

बेबस जनता ऐसे ट्वीट पर भरोसा करने को अभिशप्त है।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
प्रेम कुमार
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

विचार से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें