आधुनिक भारत के निर्माता बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर (14 अप्रैल 1891 से 6 दिसंबर 1956) ने भारत की एकता और अखंडता का सपना देखा। उनका मानना था कि जातिवाद और जातीय घृणा की वजह से देश का पतन हो रहा है और जब तक जातीय घृणा नहीं ख़त्म की जाती है, तब तक भारत का विकास संभव नहीं है। आम्बेडकर का मानना है कि जाति उन्मूलन से ही हिंदू एकता बनी रह सकती है। जाति के ख़ात्मे से ही सांप्रदायिकता ख़त्म होगी, क्योंकि जातिवाद और सांप्रदायिकता एक ही सिक्के के दो पहलू हैं।
हिंदू समाज में जितनी जातियाँ होंगी, हिंदुओं में उतना ही अलगाव रहेगा: आम्बेडकर
- विचार
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- 14 Apr, 2020
बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर का आज यानी 14 अप्रैल को जन्मदिवस है।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण को सर्वोच्च मानने वाले आम्बेडकर का मानना है कि भारत में अनावश्यक व अनुपयोगी चिंतन हुए और भारतीय उसमें हज़ारों साल तक उलझे रहे। उसका कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका। वहीं उनका यह भी मानना था कि कात्यायन, पाणिनि या कपिल के दर्शन भी वहीं अटक गए। उसके बाद उस पर कोई काम नहीं हुआ। डॉ. आंबेडकर प्रोफ़ेसर हरदयाल के हवाले से कहते हैं, ‘अध्यात्म विद्या भारत का कलंक रही है। उसने उसके इतिहास को चौपट किया है। उसे विनाश के गड्ढे में धकेल दिया है। उसने उसके महापुरुषों को दयनीय स्थिति में डालकर कोरा वितंडावादी बना दिया है और उन्हें निरर्थक जिज्ञासा और चेष्टा के गलियारों में भटका दिया है। उसने भारतीयों को इतना निकम्मा बना दिया है कि जिसमें वे सैकड़ों साल तक कोल्हू के बैल की भाँति उसी पुराने ढर्रे पर चलते रहें।’