अखिल भारतीय कांग्रेस समिति ने 7 अगस्त 1942 को बम्बई (मुंबई) में अपनी बैठक में एक क्रांतिकारी प्रस्ताव पारित किया, जिसमें अंग्रेज शासकों से तुरंत भारत छोड़ने की माँग की गयी थी। कांग्रेस का यह मानना था कि अंग्रेज सरकार को भारत की जनता को विश्वास में लिए बिना किसी भी जंग में भारत को झोंकने का नैतिक और क़ानूनी अधिकार नहीं है।
'भारत छोड़ो' आन्दोलन कुचलने में अंग्रेज़ों का साथ देने वाले सावरकर को भारत रत्न?
- विचार
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- 28 May, 2020

विनायक दामोदर सावरकर पर आरोप लगता है कि उन्होंने 'भारत छोड़ो' आन्दोलन का विरोध किया था और अंग्रेज़ों की मदद की थी। उन्होंने अंग्रेजी सेना की मदद के लिए फ़ौज़ में हिन्दुओं की भर्ती का विशेष अभियान चलाया था। बाद में अंग्रेज़ों ने इन्ही सैनिकों को नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिन्द फ़ौज़ के ख़िलाफ़ युद्ध में उतारा था। सावरकर के जन्म दिन पर पढ़ें यह लेख।