राहुल गाँधी की तस्वीर ‘बेईमानों की लिस्ट में’ शामिल करके अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर साफ़ किया है कि भ्रष्टाचार विरोध उनके लिए किसी प्रतिबद्धता का नहीं महज़ रणनीति का नाम है। ख़ुद को ‘कट्टर ईमानदार’ और विरोधियों को बेईमान बताना उनकी पुरानी अदा है, लेकिन इस सूची में राहुल गाँधी का नाम दर्ज करके उन्होंने अपनी भ्रष्टाचार विरोधी भंगिमा को हास्यास्पद बना दिया है। राहुल गाँधी से मतभेद रखने वाले भी उनकी ईमानदारी और निर्भयता पर शक़ नहीं कर सकते। तमाम एजेंसियों की उछल-कूद के बावजूद राहुल गाँधी जिस तरह जेल भेजने की चुनौती देते हुए मोदी सरकार के सामने तन कर खड़े हैं, वह इसका सबसे बड़ा सबूत है।
राहुल गाँधी को ‘बेईमान’ बता कर हास्यास्पद हो गये हैं केजरीवाल!
- विचार
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- 27 Jan, 2025

राहुल गाँधी ने केजरीवाल से जाति जनगणना और आरक्षण की सीमा पर राय स्पष्ट करने की माँग करके उनकी राजनीति की सीमा उजागर कर दी है। जवाब में आम आदमी पार्टी की ओर से राहुल गाँधी को ही ‘बेईमान' बताने का अभियान शुरू कर दिया गया है।
बिना किसी सबूत के भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाना और फिर फँसने पर माफ़ी माँग लेना केजरीवाल की राजनीतिक यात्रा का एक स्थायी भाव रहा है। उनके राजनीतिक जीवन की नींव डालने वाला भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन भी इसकी मिसाल है। याद कीजिए, जनलोकपाल को लेकर जंतर-मंतर पर शुरू किया किया गया आंदोलन। वहाँ मंच पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी समेत 15 मंत्रियों को बेईमान बताते हुए पोस्टर लगाये गये थे। अचानक प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने का ऐलान हो गया तो उन्हें ‘बेईमान' बताने वाली तस्वीर पर सवाल उठने लगा। 25 जुलाई 2012 को प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति बन जाने की ख़बर आयी तो असहज स्थिति से बचने के लिए उनकी तस्वीर पर चादर डाल दी गयी। लेकिन तेवर कड़े ही थे।