पिछले दिनों कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गाँधी का आरएसएस चीफ़ मोहन भागवत को लेकर दिया गया एक बयान काफ़ी विवादों में रहा। उन्होंने भारत की आज़ादी को राममंदिर से जोड़ने वाले मोहन भागवत के बयान को ‘देशद्रोह’ बताया था। आरएसएस से सीधी और तीखी भिड़ंत को ज़रूरी मानने वाले इस 'रेडिकल सोच’ में कांग्रेस के ही अध्यक्ष रहे नेता जी सुभाषचंद्र बोस के विचारों की छाया साफ़ नज़र आती है। 1938 में सुभाष बोस के पार्टी अध्यक्ष रहते हिंदू महासभा और मुस्लिम लीग के सदस्यों को कांग्रेस की सदस्यता देने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। नेता जी इस मसले पर ज़रा भी ढील नहीं चाहते थे। यहाँ तक कि सांप्रदायिक शक्तियों को रोकने के लिए बल-प्रयोग को भी अनुचित नहीं मानते थे।
आरएसएस पर राहुल के वार में नेताजी सुभाष की धार
- विश्लेषण
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- 23 Jan, 2025

आरएसएस-बीजेपी वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बहाने से पानी पी-पीकर कोसते हैं कि नेताजी कांग्रेस के सताये हुए थे। वो कांग्रेस के बागी थे। लेकिन इस मुद्दे पर अब संघियों का पर्दाफाश हो गया है। भारत की स्वतंत्रता की जिस लड़ाई को संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पल भर में खारिज कर दिया, उस लड़ाई को नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने किस तरह लड़ा था। उनके क्या विचार थे। शायद यही वजह है कि राहुल गांधी ने मोहन भागवत को देशद्रोही कहने में देर नहीं लगाई।