विनायक दामोदर सावरकर की ‘वीरता’ पर सवाल उठाने वाले राहुल गाँधी न सिर्फ़ बीजेपी के निशाने पर हैं, बल्कि इस मसले पर उन्हें तमाम क़ानूनी दिक़्क़तों का सामना भी करना पड़ रहा है। लेकिन आरएसएस ख़ेमे के पत्रकार कहे जाने वाले और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रह चुके अरुण शौरी ने अपनी एक नयी किताब के ज़रिए सावरकर समर्थकों को आईना दिखाया है। अरुण शौरी की इस किताब का नाम है ‘द न्यू आयकन सावरकर एंड द फैक्ट्स।’ इस किताब में उन्होंने सावरकर के 'देशप्रेम और साहस’ को लेकर प्रचारित तमाम क़िस्सों की पड़ताल करते हुए उन्हें ‘झूठा और मनगढंत’ पाया है। किताब के सामने आने के बाद सावरकर को 'भारत रत्न’ दिलाने का अभियान चला रहे आरएसएस और बीजेपी के सिद्धांतकार सन्नाटे में है। राहुल की तरह शौरी को ‘विदेशी एजेंट’ बताने के ख़तरे से वे वाक़िफ़ हैं।
‘सावरकरी ग़ुब्बारे' को फ़ुस्स करते अरुण शौरी!
- विचार
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- 23 Feb, 2025

पूर्व मंत्री अरुण शौरी ने अपनी किताब में सावरकर के 'देशप्रेम और साहस' की पड़ताल करते हुए उन्हें 'झूठा और मनगढंत' करार दिया। जानिए, उनके बयान के पीछे की पूरी कहानी।
दिलचस्प बात ये है कि अरुण शौरी ने एक तीक्ष्णबुद्धि पत्रकार की तरह अपनी हर बात का प्रमाण सावरकर की लेखनी और उस दौर के तमाम दस्तावेज़ों के ज़रिए दिया है जो अकाट्य हैं। अंडमान की जेल जाने से पहले सावरकर निश्चित ही एक क्रांतिकारी भूमिका में थे। हालाँकि यह भूमिका ‘एक्शन’ में सीधे शामिल न होकर किसी को मोहरा बनाने की थी। लेकिन एक बार जेल जाने के बाद सावरकर ने जिस तरह से गिड़गिड़ाते हुए अंग्रेज़ों से माफ़ी माँगी और छूटकर राष्ट्रीय आंदोलन के ख़िलाफ़ काम करने, ख़ासतौर पर हिंदू-मुस्लिम विभाजन के लिए काम करने का वादा किया, यह उनके पूर्व के तमाम कामों पर पानी फेरने वाला था।