26 अक्टूबर 1947 को जम्मू-कश्मीर के महाराजा ने भारत के साथ विलय के लिए जिस दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए थे, उस में यह शर्त थी कि जम्मू-कश्मीर विलय के बाद भारतीय संघ का एक घटक राज्य होते हुए भी ‘स्वायत्त’ रहेगा। उस शर्त के मुताबिक़ ही भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 डाला गया जिसमें राज्य की ‘स्वायत्तता’ के साथ-साथ इस बात की भी गारंटी थी कि यह अनुच्छेद तब तक संविधान में बना रहेगा जब तक जम्मू-कश्मीर राज्य की संविधान सभा इसे ख़त्म करने की सिफ़ारिश न करे।
अनुच्छेद 370 के खंड 3 में लिखा है -इस अनुच्छेद के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, राष्ट्रपति लोक अधिसूचना द्वारा घोषणा कर सकेगा कि यह अनुच्छेद प्रवर्तन में नहीं रहेगा या ऐसे अपवादों और उपांतरणों सहित ही और ऐसी तारीख़ से, प्रवर्तन में रहेगा, जो वह विनिर्दिष्ट करे: 
परंतु राष्ट्रपति द्वारा ऐसी अधिसूचना निकाले जाने से पहले खंड (2) में निर्दिष्ट उस राज्य की संविधान सभा की सिफ़ारिश आवश्यक होगी।