बेशक़ सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने बाबरी मसजिद विध्वंस मामले में सभी 32 अभियुक्तों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है लेकिन जिस तरीक़े से इतने बड़े ऐतिहासिक सच का अदालत में दिवाला पिटा है उसके लिए अकेले अभियोजन पक्ष (सीबीआई) को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है। यह वस्तुतः समूचे न्यायिक तंत्र की शर्मनाक असफलता का द्योतक है।