देश की एक सौ पैंतीस करोड़ जनता को पचहत्तरवें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा लाल क़िले की प्राचीर से दिए जाने वाले भाषण को सुनने की तैयारी प्रारम्भ कर देनी चाहिए। प्रधानमंत्री का पिछला सम्बोधन कोरोना की दूसरी लहर के बीच हुआ था। हमें ख़ासा अनुभव है कि उस वक्त हमारे हालात क्या थे और हम सब कितने बदहवास थे!