पच्चीस जून, 1975 का दिन। पैंतालीस साल पहले। देश में ‘आपातकाल’ लग चुका था। हम लोग उस समय ‘इंडियन एक्सप्रेस’ समूह की नई दिल्ली में बहादुरशाह ज़फ़र मार्ग स्थित बिल्डिंग में सुबह के बाद से ही जमा होने लगे थे। किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि आगे क्या होने वाला है। प्रेस सेंसरशिप भी लागू हो चुकी थी। इंडियन एक्सप्रेस समूह तब सरकार के मुख्य निशाने पर था। उसके प्रमुख रामनाथ गोयनका इंदिरा गाँधी से टक्कर ले रहे थे। वह जे पी के नज़दीकी लोगों में एक थे।