सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को टाइम्स नाउ की एंकर नाविका कुमार को गिरफ्तारी से राहत दे दी। बीजेपी नेता और निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा ने एंकर नाविका कुमार के कार्यक्रम में टाइम्स नाउ पर पैगंबर मोहम्मद पर अपमानजनक टिप्पणियां की थीं। इस मामले में नूपुर के अलावा नाविका कुमार के खिलाफ कई एफआईआर दर्ज हुई थी। उन्हीं मामलों में गिरफ्तारी से बचने के लिए नाविका कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी।
26 मई को टाइम्स नाउ पर बीजेपी नेता ने पैगंबर के बारे में विवादास्पद टिप्पणी की थीं। जिससे देश के भीतर और बाहर भारी गुस्सा फैल गया था। कई मुस्लिम बहुल देशों ने भी इस पर आपत्ति प्रकट की थी।
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इन कड़ी आलोचनाओं के बाद बीजेपी ने फौरन नूपुर शर्मा से खुद को दूर कर लिया। उन्हें प्रवक्ता पद से निलंबित कर दिया और उनकी टिप्पणियों को फ्रिंज एलीमेंट्स (अशिष्ट तत्वों) की टिप्पणियां बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की थी।
नूपुर शर्मा के अलावा, नाविका कुमार को भी तमाम लोगों और संगठनों से उस डिबेट को गलत ढंग से संभालने और खुद भी आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए आलोचना मिली। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने उस घटना के बाद एक बयान जारी किया जिसमें उसने कहा कि टीवी चैनल जानबूझकर ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं जो कमजोर समुदायों को टारगेट करते हैं। गिल्ड ने किसी चैनल का नाम नहीं लिया था, लेकिन उसका इशारा टाइम्स नाउ जैसे चैनलों और नाविका कुमार जैसे एंकरों की तरफ था।
इसके बाद एक मौलवी की शिकायत पर नाविका कुमार के खिलाफ महाराष्ट्र के नानलपेट पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई। दिल्ली, पश्चिम बंगाल, जम्मू और कश्मीर में भी एंकर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद नाविका कुमार ने एफआईआर को रद्द करने या उन्हें एक साथ जोड़ने और एक राज्य में ट्रांसफर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
वर्तमान सुनवाई में, नाविका कुमार के कानूनी वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने तर्क दिया कि एंकर ने बहस के दौरान पैगंबर के खिलाफ कुछ नहीं कहा। रोहतगी ने कोर्ट में कहा कि बहस ज्ञानवापी मस्जिद के बारे में थी और अचानक एक ने कुछ कहा और फिर दूसरे ने पलटवार किया। नाविका कुमार ने तो दोनों को टोका और हालात को संभाला।
जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने आदेश देने के अलावा कहा कि नाविका कुमार के खिलाफ फिलहाल कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। मामले को दो सप्ताह के समय में आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट करने से पहले पश्चिम बंगाल राज्य और अन्य प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया। रोहतगी ने मामले में पश्चिम बंगाल सरकार की "खास दिलचस्पी" पर सवाल उठाया था।
इसके अलावा, रोहतगी ने नाविका के खिलाफ कार्यवाही पर पूरी तरह रोक लगाने की मांग की, हालांकि, बेंच ने इस अनुरोध को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अन्य प्रतिवादियों के अदालत के सामने पेश होने के बाद कोई और फैसला किया जाएगा।
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जब नूपुर शर्मा ने 1 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, तो उनके खिलाफ एफआईआर को एक साथ जोड़ने की मांग की गई थी। उस समय जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने टिप्पणी के लिए बीजेपी नेता नूपुर शर्मा की कड़ी आलोचना की थी। अदालत ने उन्हें "गैर-जिम्मेदार" तक कहा था। कोर्ट ने कहा था कि इस समय देश में जो कुछ हो रहा है उसके लिए अकेले बीजेपी नेता नूपुर शर्मा और एंकर जिम्मेदार हैं।क्योंकि उस विवादास्पद कार्यक्रम के बाद देश में सांप्रदायिक हिंसा की घटनाएं हुईं।
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