बिहार की सियासत में आने वाले 2 से 3 दिन बेहद अहम हैं। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार एक बार फिर बीजेपी के साथ अपने सियासी रिश्ते खत्म कर सकते हैं। ऐसी भी खबर है कि नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात की है। नीतीश कुमार ने मंगलवार को जेडीयू के विधायकों, सांसदों और विधान परिषद के सदस्यों की बैठक बुलाई है।
खबरों के मुताबिक अब बीजेपी और जेडीयू के गठबंधन का टूटना लगभग तय हो चुका है।
तेजी से बदल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच आरजेडी और जेडीयू ने सोमवार को ही अपने विधायकों की अलग-अलग बैठक पटना में बुलाई। नीतीश सरकार में शामिल हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) ने भी अपने विधायकों के साथ बैठक की है।
किसके पास कितने विधायक
243 सदस्यों वाली बिहार की विधानसभा में आरजेडी के पास 79, बीजेपी के पास 77, जेडीयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19, सीपीआई (एमएल) के पास 12, एआईएमआईएम के पास 1, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास 4, सीपीएम के पास 2, सीपीआई के पास 2 और एक निर्दलीय विधायक हैं। सरकार बनाने के लिए 122 विधायकों की जरूरत है। जो नीतीश कुमार और आरजेडी के साथ आने से बन जाएगी। इसके बाद कांग्रेस और वामदलों का समर्थन भी इस सरकार को मिलेगा। क्योंकि बिहार के महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस और वाम दल शामिल हैं।
नीतीश के खिलाफ साजिश!
जेडीयू ने रविवार को इस ओर संकेत किया था कि नीतीश कुमार के खिलाफ साजिश रची जा रही है। जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने बीजेपी पर सीधा निशाना साधते हुए कहा, कोई षड्यंत्र अब नहीं चलेगा, 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान मॉडल इस्तेमाल किया गया था और दूसरा चिराग मॉडल तैयार किया जा रहा था। उन्होंने कहा कि वह आगे बताएंगे कि षड्यंत्र कैसे-कैसे हुआ और कहां-कहां हुआ।
ललन सिंह ने यह भी कहा था कि भविष्य में होने वाले चुनाव में गठबंधन के लिए अभी कुछ तय नहीं हुआ है। जेडीयू का कहना है कि आरसीपी सिंह बिना नीतीश कुमार की स्वीकृति के मोदी कैबिनेट में शामिल हो गए थे।
ललन सिंह ने यह भी साफ किया था कि जेडीयू मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं बनेगी। तभी यह समझ आ गया था कि बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते अब बहुत ज्यादा बिगड़ चुके हैं। रिश्ते बिगड़ने की यह चर्चा पटना से लेकर दिल्ली तक के मीडिया और सियासी गलियारों में पिछले 3 महीने से चल रही है।
महाराष्ट्र की सियासत का असर
जेडीयू के सूत्रों का दावा है कि बीजेपी आरसीपी सिंह को जेडीयू का एकनाथ शिंदे बनाने की कोशिश कर रही थी। महाराष्ट्र में शिवसेना के भीतर हुई सियासी उथल-पुथल के बाद से ही नीतीश कुमार और जेडीयू के बड़े नेताओं के कान खड़े हो गए थे। उन्हें इस बात की आशंका थी कि बिहार के अंदर भी ऐसा कुछ हो सकता है।
बीजेपी के साथ ही आरजेडी की नजर भी पूरे सियासी घटनाक्रम पर लगी हुई है। नई सरकार के गठन में स्पीकर और राज्यपाल की भूमिका भी अहम रहेगी। क्योंकि स्पीकर बीजेपी के विजय कुमार सिन्हा हैं इसलिए अगर नीतीश महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार बनाते हैं तो देखना होगा कि उन्हें किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।
बिहार में विधायकों के अंकगणित से यह समझ आता है कि बीजेपी के लिए राज्य में सरकार बना पाना बेहद मुश्किल है। उसके पास जेडीयू के अलावा कोई ऐसा सहयोगी नहीं है जो उसे बहुमत के आंकड़े तक पहुंचा सके। ऐसे हाल में अगर नीतीश कुमार उसका साथ छोड़ते हैं तो निश्चित रूप से उसे सत्ता से दूर होना होगा।
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