एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने बुधवार को कुछ न्यूज चैनलों के गैरजिम्मेदार बर्ताव की कड़ी आलोचना की। जिन्होंने जानबूझकर ऐसे हालात पैदा किए, जिनकी वजह से अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाया गया।
एडिटर्स गिल्ड का यह कड़ा बयान निलंबित बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की एक टीवी बहस के दौरान पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी और कुछ चैनलों द्वारा इसकी रिपोर्टिंग पर आया है। जिसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मामला उठा और भारत के कुछ मित्र देशों ने भारत से माफी की मांग की।
गिल्ड ने कहा कि इस घटना से देश को अनावश्यक शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। इससे बचा जा सकता था यदि कुछ टीवी आउटलेट धर्मनिरपेक्षता के लिए देश की संवैधानिक प्रतिबद्धता के साथ-साथ पत्रकारिता की नैतिकता और दिशानिर्देशों के प्रति जागरूक होते जो प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया ने जारी किया था।
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गिल्ड ने कहा कि कुछ चैनल दर्शकों की संख्या और लाभ कमाने की इच्छा से प्रेरित थे, रेडियो रवांडा के मूल्यों से प्रेरित थे, जिनके आग लगाने वाले प्रसारण से अफ्रीकी राष्ट्र में नरसंहार हुआ था।
अपने बयान में एडिटर्स गिल्ड की अध्यक्ष सीमा मुस्तफा, महासचिव संजय कपूर और कोषाध्यक्ष अनंत नाथ ने कहा कि इन चैनलों ने विभाजनकारी और जहरीली आवाज़ों को वैधता देकर उसे जो राष्ट्रीय बना दिया है, उसे रोकें और खुद पर आलोचनात्मक नज़र डालें।
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बयान में कहा गया है कि गिल्ड कुछ राष्ट्रीय समाचार चैनलों के गैर-जिम्मेदाराना बर्ताव से परेशान है, जो जानबूझकर ऐसे हालात पैदा कर रहे हैं जो कमजोर समुदायों को उनके और उनके विश्वासों के प्रति नफरत फैलाकर टारगेट करते हैं। इसी वजह से कानपुर में दंगा भी हुआ। गिल्ड ने ऐसी पुनरावृत्ति को रोकने के लिए प्रसारक और पत्रकार निकायों द्वारा सतर्कता बरतने को भी मांग की।
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