जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट ने कश्मीर स्थित पत्रकार सज्जाद अहमद डार (सज्जाद गुल) की हिरासत को रद्द कर दिया है और कहा है कि सरकार का आलोचक होना किसी व्यक्ति को हिरासत में लेने का आधार नहीं है। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ आरोप अस्पष्ट और सामान्य किस्म के हैं।
हाईकोर्ट ने भी अधिकारियों को फटकार लगाई और इस तरह की हिरासत को 'कानून का दुरुपयोग' करार दिया।
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सज्जाद गुल अपने सोशल मीडिया पोस्ट और बयानों के जरिए दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में 16 जनवरी, 2022 से जम्मू और कश्मीर सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम के तहत हिरासत में हैं। अपने फैसले में अदालत ने कहा, "सरकारी तंत्र की नीतियों या आयोगों के आलोचकों को हिरासत में लेने की प्राधिकारी की ओर से ऐसी प्रवृत्ति, हमारी राय में, निवारक कानून का दुरुपयोग है।"
इसके अलावा, चीफ जस्टिस एन कोटिस्वर सिंह और जस्टिस एमए चौधरी की बेंच ने कहा कि हिरासत के आधार पर कहीं भी यह उल्लेख नहीं किया गया है कि गुल ने कोई झूठी कहानी अपलोड की थी या उनकी रिपोर्टिंग सही तथ्यों पर आधारित नहीं थी।
बेंच ने कहा, गुल के खिलाफ कोई विशेष आरोप नहीं है कि उसकी गतिविधियों को राज्य की सुरक्षा के लिए खतरनाक कैसे ठहराया जा सकता है।
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हाईकोर्ट बेंच ने यह भी कहा कि कई प्रक्रियात्मक उल्लंघन हुए हैं। कोर्ट ने कहा- "संपूर्ण दस्तावेजी रिकॉर्ड उपलब्ध कराने के अभाव में, यह नहीं कहा जा सकता कि बंदी अपनी हिरासत के खिलाफ प्रभावी और सार्थक प्रतिनिधित्व करने में सक्षम है, जो उसका वैधानिक और संवैधानिक अधिकार है।"
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इससे पहले, दिसंबर 2022 में हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने हिरासत आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने डिवीजन बेंच में अपील की थी।
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