मुंबई में बुधवार को शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने दशहरा रैली के जरिए एक-दूसरे पर जमकर हमले किए। उद्धव ठाकरे ने जहां एकनाथ शिंदे को गद्दारों का सरदार कह डाला वहीं एकनाथ शिंदे ने ठाकरे को हिंदुत्व के साथ समझौता करने वाला व्यक्ति बताया।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि बीकेसी के मैदान में उमड़ा जनसैलाब यह बताने के लिए काफी है कि असली शिवसेना कौन है। शिंदे ने कहा कि मैंने अपने लोगों से कहा था कि मैदान मिलने को लेकर कोई सरकारी दबाव का इस्तेमाल नहीं करना है। हमने पहले शिवाजी पार्क पर रैली करने के लिए अर्जी दी थी लेकिन सरकार का दुरुपयोग नहीं किया।
शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर हमला करते हुए कहा कि उन्होंने सरकार का रिमोट कंट्रोल कांग्रेस और एनसीपी के हाथ में दे दिया था। दिवंगत शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे के विचारों को बचाने के लिए हमने शिवसेना से अलग होने का फैसला किया था।
मुख्यमंत्री ने कहा, “पिछले 3 महीने से मैं महाराष्ट्र दौरा कर रहा हूं और हर दरवाजे पर मेरा स्वागत करने के लिए लोग खड़े रहते हैं।” शिंदे ने उद्धव ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा कि यह शिवसेना ना तो आपकी है और ना मेरी है। यह शिवसेना महाराष्ट्र के हर शिव सैनिक की है। शिंदे ने कहा, “पिछले 3 महीने से हमें गद्दार और खोखे कहा जा रहा है। गद्दारी हमने नहीं की। गद्दारी 2019 में आप ने की थी। 2019 में आप ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाकर महाराष्ट्र की जनता के साथ गद्दारी की थी।”
एकनाथ शिंदे ने आगे कहा कि जब साल 2019 में लोकसभा का चुनाव लड़ा गया था तो पोस्टर पर एक तरफ बाला साहेब ठाकरे का जबकि दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोटो लगा था। शिवसेना के सभी सांसद प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे पर जीत कर आए थे। इसके बाद आपने महाराष्ट्र की जनता से गद्दारी क्यों की? आपने कांग्रेस एनसीपी के साथ सरकार बना ली। शिंदे ने कहा कि बीकेसी मैदान में लाखों की भीड़ यह बताने के लिए काफी है कि गद्दारी किसने की थी।
मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि 1993 बम धमाकों के आरोपी याकूब मेमन को फांसी की सजा दी गयी थी, लेकिन आपने याकूब मेमन की फांसी की सजा का विरोध करने वाले कांग्रेस के विधायक को मंत्री तक बना डाला। इसके बाद भी आप कह रहे हैं कि हमने गद्दारी की है। गद्दारी करके बाला साहेब ठाकरे के विचारों को आप ने तिलांजलि दी है। महाराष्ट्र की जनता आपको कभी माफ नहीं करेगी।
शिंदे ने ठाकरे पर निशाना साधते हुए कहा, “आपको नारायण राणे ने छोड़ा, राज ठाकरे ने छोड़ा, लेकिन आपने आत्मचिंतन नहीं किया। हमने शिवसेना से अलग होने का फैसला किया था उसका हमें भी दुख था लेकिन ढाई साल से हमें कांग्रेस के साथ सरकार बनाकर काफी दुख हुआ था जिसके बाद यह फैसला लेना पड़ा।”
एकनाथ शिंदे ने कहा कि 1857 की क्रांति को भी लोग क्रांति मानने को तैयार नहीं थे और अब उद्धव ठाकरे भी 40 विधायकों की बगावत को क्रांति नहीं मान रहे हैं।
शिंदे ने कहा, “बाला साहेब ठाकरे ने नारा दिया था कि गर्व से कहो हम हिंदू हैं लेकिन आपने उसको तिलांजलि दे दी। भारत में जो लोग पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे आपने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की लेकिन अब यह सब नहीं चलने वाला है। केंद्र सरकार ने पीएफआई को बैन कर दिया लेकिन उद्धव ठाकरे की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया।”
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा कि इस देश में चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री भी बन सकता है तो क्या रिक्शा चलाने वाला मुख्यमंत्री या फिर मंत्री नहीं बन सकता है। मुख्यमंत्री और मंत्री बनना क्या सिर्फ सोने की चम्मच लेकर पैदा होने वाले लोगों के नसीब में ही लिखा है।
रावण के 50 चेहरे
उधर, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी एकनाथ शिंदे पर जमकर निशाना साधा। ठाकरे ने कहा कि पिछले 2 साल से शिवाजी पार्क में कोरोना की वजह से दशहरे की रैली नहीं हुई लेकिन आज आप की संख्या देख कर मुझे आपने झुकने पर मजबूर कर दिया है। ठाकरे ने शिंदे पर हमला करते हुए कहा कि मुझे गद्दारों की चिंता नहीं है। शिवाजी पार्क की रैली में एक भी आदमी पैसा देकर नहीं लाया गया है। सभी सच्चे शिवसैनिक इस दशहरा रैली में पहुंचे हैं जो हमेशा से पहुंचते आए हैं। ठाकरे ने कहा कि हर साल रैली के बाद रावण का दहन होता है लेकिन हर बार रावण का स्वरूप बदलता है। इस बार रावण के 50 चेहरे हैं यानी कि 50 खोखे।
ठाकरे ने कहा कि जब मैं अस्पताल में भर्ती था तो जिसको मैंने जिम्मेदारी दी थी, वह साजिश रच रहा था। शिव सैनिकों को संबोधित करते हुए ठाकरे ने कहा कि आप सभी का आशीर्वाद अगर मेरे ऊपर रहा तो एक बार फिर से शिवसेना का मुख्यमंत्री बनेगा। ठाकरे ने कहा कि एकनाथ शिंदे को आनंद दिघे की 20 साल तक याद नहीं आई। शिवसेना प्रमुख ने कहा कि यह अपने बाप के नाम पर वोट नहीं मांग सकते इसलिए वह दूसरे के बाप के नाम का इस्तेमाल कर रहे हैं।
‘वादे से मुकरे शाह’
ठाकरे ने कहा कि 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ढाई साल तक शिवसेना के मुख्यमंत्री का वादा किया था लेकिन वह वादे से मुकर गए। मैं आज शिवतीर्थ पर अपने मां-बाप की कसम खाकर कहता हूं कि अमित शाह से ढाई साल के मुख्यमंत्री को लेकर बात हुई थी। ठाकरे ने उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधते हुए कहा कि वह गृह मंत्री होते हुए धमकी देने का काम कर रहे हैं। फडणवीस अपने भाषणों में कहते हैं कि वह चुन-चुन कर मारेंगे। ठाकरे ने कहा कि मैं आपको सच्चाई बताना चाहता हूं कि शिवसेना के कुछ विधायकों को धमकी दी गई थी कि एकनाथ शिंदे के साथ समर्थन में नहीं आएंगे तो आप का एनकाउंटर कर दिया जाएगा। यह आप कहां का कानून बना रहे हैं।
हिंदुत्व का पाठ न पढ़ाएं
ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हिंदुत्व को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि आप हमें हिंदुत्व की परिभाषा नहीं सिखा सकते। पाकिस्तान में जिन्ना की कब्र पर नतमस्तक होने वाले, नवाज शरीफ के घर जाकर बिरयानी खाने वाले और जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती से गठबंधन करने वाले हमको क्या खाक हिंदुत्व सिखाएंगे।
ठाकरे ने कहा कि इस समय देश में बेरोजगारी और महंगाई चरम पर है। बीजेपी के सभी नेता गाय पर बोलते हैं लेकिन महंगाई पर बोलने से बचते हैं। साल 2014 में जब मोदी जी सत्ता में आए थे तब डॉलर का रेट क्या था और आज क्या है इस पर सोचने की जरूरत है।
उद्धव ठाकरे ने कहा कि वह आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का आदर करते हैं लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि मोहन भागवत मस्जिद में गए थे तो क्या उन्होंने हिंदुओं को छोड़ दिया है। भागवत से सवाल पूछते हुए ठाकरे ने कहा कि आप नारी शक्ति की बात करते हैं लेकिन मेरी आपसे मांग है कि अंकिता भंडारी की हत्या करने वाले बीजेपी नेता को क्या आप फांसी देंगे? क्योंकि उनके परिवार की इच्छा है कि आरोपी को फांसी दी जाए। ठाकरे ने कहा कि बिलकिस बानो के बलात्कारियों को गुजरात सरकार ने छोड़ दिया और उसके बाद में उनका स्वागत किया तो क्या मोहन भागवत यह मान सकते हैं कि हमारा देश महिला सशक्तिकरण की तरफ बढ़ रहा है।
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