उद्धव ठाकरे ने चुनाव आयोग द्वारा पार्टी का नाम और उसके चुनाव चिह्न छीन लिए जाने पर अमित शाह पर तीखा हमला किया है। उन्होंने अमित शाह की तुलना फिल्म 'मिस्टर इंडिया' के मोगैंबो के चरित्र से की। उन्होंने कहा कि मोगैंबो देश को और लोगों को बाँट कर खुद की सत्ता कायम रखना चाहता था। उद्धव ने फ़िल्म के सबसे प्रसिद्ध पंक्तियों में से एक- 'मोगैंबो खुश हुआ' का इस्तेमाल किया।
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को पार्टी का नाम शिवसेना और धनुष और तीर निशान एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को आवंटित किया है। इससे उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका लगा है। उद्धव के पिता बाल ठाकरे ने 1966 में संगठन की स्थापना की थी। चुनाव आयोग के फैसले के बाद उद्धव ठाकरे ने चुनाव और केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला है। प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उद्धव ने कहा था कि 'गद्दार हमेशा गद्दार' ही रहता है। चुनाव आयोग का यह फैसला लोकतंत्र की हत्या है।'
इसी क्रम में आज उन्होंने अमित शाह पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, 'मैंने तो हिंदुत्व नहीं छोड़ा। हमारा हिंदुत्व देश से जुड़ा है। उनका हिंदुत्व हमारे हिंदुत्व जैसा नहीं है। इनका जो हिंदुत्व है वे कहते हैं कि देश में लड़ाई लगवाओ, आपस में झगड़ा कराओ, परिवार में झगड़ा लगाओ, पार्टी में झगड़ा चालू करो और सत्ता हासिल करो।' वह आगे कहते हैं कि कल कोई आया था पुणे में। उन्होंने कहा, "उन्होंने पूछा- 'क्या कैसे चल रहा है महाराष्ट्र में?' तो किसी ने कहा कि आज बड़ा अच्छा दिन है। ...क्यों? ... शिवसेना का नाम और चिह्न हमने अपने साथ जो गुलाम आए हैं, उनको दे दिया। तो वो व्यक्ति बोले- 'अच्छा, मोगैंबो खुश हुआ!' ये मोगैंबो है।"
उद्धव ने आगे अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा, "मिस्टर इंडिया को याद करें तो उसमें मोगैंबो यही चाहता था कि देश में एक-दूसरे के साथ लड़ाई हो जाए, लोग आपस में लड़ते रहें, और वो लड़ाई में व्यस्त रहेंगे तो मैं राज करूँगा। आज का मोगैंबो यही तो है। वो भले हिंदू हैं, लड़ो।"
उद्धव ने कहा कि कभी लोग रैलियों में मोदी का मुखौटा पहनते थे, अब पीएम मोदी हैं, जो मेरे पिता बालासाहेब ठाकरे के मुखौटे के पीछे हैं।
उद्धव ठाकरे ने आगे कहा कि मैं कहना चाहता हूं कि उन्हें बालासाहेब ठाकरे का चेहरा चाहिए, उन्हें चुनाव चिह्न चाहिए लेकिन शिवसेना का परिवार नहीं। पीएम नरेंद्र मोदी को महाराष्ट्र आने के लिए बाला साहेब ठाकरे के चेहरे की ज़रूरत है, राज्य के लोग जानते हैं कौन सा चेहरा असली है और कौन नहीं।
इधर आज कोल्हापुर में आयोजित विजय संकल्प रैली के दौरान अमित शाह ने उद्धव पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि 2019 में उद्धव ठाकरे ने हमारे साथ प्रचार किया, लेकिन जब चुनाव के नतीजे आए, तो वे सभी विचारधाराओं को भूल गए और शरद पवार के पैरों पर गिर गए। अमित शाह ने दावा किया कि भाजपा को सत्ता का लालच नहीं है और हम अपनी विचारधाराओं को कभी नहीं भूलेंगे।
सुप्रीम कोर्ट पहुँचा शिंदे खेमा
बता दें कि शिवसेना नाम और धनुष-तीर निशान के मामले में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए। उन्होंने अदालत में कैविएट दायर की है। शिंदे खेमे ने इस कैविएट से अदालत को यह बताया है कि उद्धव ठाकरे शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न पर चुनाव आयोग के फ़ैसले को चुनौती दे सकते हैं। कैविएट में शिंदे ने अदालत से किसी भी आदेश को पारित करने से पहले महाराष्ट्र सरकार का पक्ष भी सुनने का आग्रह किया है।
शिंदे खेमे की ओर से ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि उद्धव ठाकरे ने शनिवार को पार्टी की बैठक में कहा था कि वो इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे। उद्धव ने कहा था कि 'पीएम मोदी और उनके गुलाम चुनाव आयोग ने शिवसेना का नाम और निशान हमसे छीना है'। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ता घर-घर जाकर बताएं कि हमारा नाम और निशान चोरी कर लिया गया है।
उद्धव ने कहा कि 'मैंने चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक इंतजार करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। आगे भविष्य में कोई भी विधायकों या सांसदों को खरीदकर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन सकता है।'
उद्धव ने कहा कि चुनाव आयोग ने जो फैसला दिया है, वो लोकतंत्र के लिए घातक है, प्रधानमंत्री को अब लालकिले से घोषणा कर देनी चाहिए कि लोकतंत्र खत्म हो गया है।
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