कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों, लॉकडाउन के कारण लाखों की संख्या में घर लौटे बेरोज़गार प्रवासियों, बाढ़ की विभीषका से बेहाल बिहार के लोगों के सामने पिछले चार महीने तक एक ही बात परोसी गयी। बात थी कि बिहार के लाल सुशांत सिंह राजपूत की हत्या की गई और महाराष्ट्र सरकार और मुंबई पुलिस ने उसे न्याय दिलाने के लिए कुछ नहीं किया। इस बात को मुद्दा बनाया बीजेपी ने और कुछ न्यूज़ चैनलों का भी उसे इस काम में साथ मिला।
सुशांत केस के बहाने शिव सेना और उद्धव ठाकरे सरकार में शामिल एनसीपी और कांग्रेस को जमकर निशाना बनाया गया और सुशांत की मौत को बिहार की अस्मिता से जोड़ दिया गया।
बीजेपी ने सुशांत के चेहरे के साथ ‘ना भूले हैं-ना भूलने देंगे’ के पोस्टर-मास्क छपवाए और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बिहार चुनाव का प्रभारी बनाकर तय कर दिया कि वह चुनाव इसी मुद्दे पर लड़ेगी।
एम्स की रिपोर्ट ने निकाली हवा
जैसा बीजेपी ने प्लान किया था, वैसा हो भी रहा था और बड़ी संख्या में बिहार के लोग भरोसा करने लगे थे कि हां, सुशांत की हत्या हुई और मुंबई पुलिस ने दो महीने तक जांच के नाम पर कुछ भी नहीं किया। लेकिन एम्स की रिपोर्ट ने बीजेपी के प्लान की हवा निकाल दी। रिपोर्ट साफ तौर पर हत्या की संभावनाओं को खारिज करती है, साथ ही गला घोटने और जहर देने की बातों को भी नकारती है।
जिस सीबीआई से जांच कराने को लेकर बिहार बीजेपी के नेताओं ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को खत लिखने से लेकर सड़कों तक हंगामा काटा, वह एजेंसी भी यही कहती है कि सुशांत की हत्या की थ्योरी ग़लत है।
अब बीजेपी परेशान है क्योंकि यह मुद्दा हाथ से निकल गया है और लोगों को समझ आ गया है कि एम्स के डॉक्टर्स का पैनल और सीबीआई, दोनों ग़लत नहीं हो सकते।
जिस तरह बीजेपी ने सुशांत मामले में महाराष्ट्र सरकार और शिव सेना को निशाना बनाया, उससे शिव सेना तिलमिलाई हुई थी और उसने आगाह किया था कि बीजेपी ऐसा न करे। लेकिन बीजेपी नहीं मानी और उसने हमला जारी रखा। लेकिन समय बदला और अब शिव सेना के पास बदला लेने का मौक़ा आ गया है।
चुनाव लड़ेगी शिव सेना
शिव सेना ने एलान किया है कि वह बिहार के चुनाव में 50 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। उसने स्टार प्रचारकों की लिस्ट भी जारी कर दी है। इस लिस्ट में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, उनके बेटे और कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे, प्रवक्ता संजय राउत, अनिल देसाई, राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी सहित कई नाम शामिल हैं।
प्रचारकों की सूची में उद्धव, आदित्य और संजय राउत का नाम आने का मतलब साफ है कि सुशांत केस में बीजेपी के द्वारा ‘बनाई गई’ स्टोरी को लेकर चुनाव में बात होगी। वैसे, शिव सेना के बिहार में पहली बार इतनी ज़्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर भी चर्चाएं हो रही हैं।
एनसीपी फिर से मैदान में
इसके अलावा शरद पवार की एनसीपी भी बिहार के चुनाव मैदान में दम-खम के साथ उतरने जा रही है। एनसीपी पहले भी बिहार में चुनाव लड़ती रही है और उसने 40 स्टार प्रचारकों की सूची भी जारी कर दी है। इनमें शरद पवार के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल, पवार की बेटी और सांसद सुप्रिया सुले सहित कई नेता शामिल हैं। कांग्रेस तो महागठबंधन के साथ मिलकर चुनाव लड़ ही रही है।
हालांकि शिव सेना और एनसीपी बिहार में कोई बड़ी ताक़त नहीं हैं। लेकिन वे इस बात का मैसेज बार-बार देंगी कि सुशांत के नाम पर फर्जी स्टोरी गढ़ी गई और बिहार के लोगों की भावनाओं के साथ खेला गया। वे यह मैसेज भी देंगी कि कई मुसीबतों से जूझ रहे बिहार के लोगों के मुद्दों पर बात न करके जांच एजेंसियों के हवाले हो चुके मुद्दे को तिल का ताड़ बना दिया गया।
फडणवीस को प्रभारी बनाने से लेकर, सुशांत के मामले को बिहार बीजेपी के नेताओं द्वारा हत्या बताने की कोशिश और इसे लेकर उद्धव ठाकरे सरकार पर हमला करने के सारे क़दम बीजेपी उठा चुकी है। अब बारी पलटवार की है और देखना है कि उद्धव और पवार किस हद तक बीजेपी का खेल बिगाड़ पाते हैं।
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