असम के शिक्षा मंत्री हिमन्त विश्व शर्मा ने गुरुवार को कहा है कि असम में अगले नवंबर महीने से सरकारी सहायता से चलने वाले 614 मदरसे और 101 संस्कृत टोल (संस्कृत पाठशाला) बंद कर दिए जाएँगे। असम की बीजेपी सरकार ने 'धार्मिक आधार' पर शिक्षा नहीं देने की नीति के तहत यह फ़ैसला किया है। तर्क चाहे जो भी दिए जाएँ लेकिन जिस तरह 2016 के चुनाव में असम में सत्ता संभालने वाली बीजेपी धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति करती रही है और संघ की योजनाओं पर अमल करती रही है, उसे देखते हुए मदरसों को बंद करने के फ़ैसले के पीछे भी उसकी सांप्रदायिक सोच नज़र आ रही है।
असम में मदरसों को बंद करने के फ़ैसले के पीछे कहीं सांप्रदायिक सोच तो नहीं है?
- असम
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- 9 Oct, 2020


दिनकर कुमार
हिमन्त विश्व शर्मा ने कहा है कि मदरसे और संस्कृत टोल बंद कर दिए जाएँगे। लेकिन शर्मा ने यह भी कहा कि संस्कृत टोलों को नए रूप में नलबाड़ी में स्थित कुमार भास्कर वर्मा संस्कृत एवं प्राचीन अध्ययन विश्वविद्यालय के साथ जोड़ा जाएगा। इसका अर्थ है कि संस्कृत की शिक्षा जारी रहेगी लेकिन अरबी भाषा की शिक्षा पर रोक लग जाएगी।
सत्ता में आते ही बीजेपी सरकार ने असम में दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर 22 कॉलेजों की स्थापना करने की घोषणा की। पाँच मॉडल कॉलेजों के नाम दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखे गए। तब नागरिक संगठनों ने सड़क पर उतर कर इस फ़ैसले का तीव्र विरोध किया था। सरकार ने शेष कॉलेजों का नामकरण उपाध्याय के नाम पर नहीं करने का फ़ैसला किया। इसके बाद सरकार ने दिल्ली के एक प्रकाशक से 1.6 करोड़ रुपए में दीन दयाल उपाध्याय रचनावली ख़रीद कर 600 कॉलेजों में वितरित की थी।
दिनकर कुमार
लेखक पूर्वोत्तर के वरिष्ठ पत्रकार और ‘दैनिक सेंटीनल’ के पूर्व संपादक हैं।