दूसरी ओर, रविवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार की दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाक़ात होनी है। ख़बर है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल ने दिल्ली में सोनिया गाँधी के सामने सरकार को लेकर पूरी तसवीर स्पष्ट करते हुए एनसीपी और शिवसेना के साथ हुई बातचीत का ब्यौरा दिया है।
माना जा रहा है कि सोनिया और पटेल के बीच न्यूनतम साझा कार्यक्रम (सीएमपी) को लेकर भी एनसीपी और शिवसेना के रुख पर चर्चा हुई है। 40 बिंदुओं वाले सीएमपी में विवादित मुद्दों को जगह नहीं दी गई है। इनमें हिंदुत्व, मुसलिम आरक्षण और समान नागरिक संहिता का मुद्दा प्रमुख था। शिवसेना को इन तीनों को लेकर मना लिया गया है।
शिवसेना नेता संजय राउत ने विशेषकर हिंदुत्व के मुद्दे पर पार्टी का रुख साफ़ किया है और कहा है कि इस पर कोई टकराव नहीं होगा। ऐसे में शरद पवार और सोनिया गाँधी की बैठक को महज औपचारिकता ही माना जा रहा है।
शरद पवार ने शुक्रवार को नागपुर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सरकार गठन की कवायद पर मुहर लगाई थी। पवार ने कहा था, 'सरकार बनाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और यह सरकार पूरे पांच साल तक चलेगी।' एनसीपी प्रमुख ने कहा था कि महाराष्ट्र के किसानों को बेमौसम बारिश की वजह से काफी नुक़सान झेलना पड़ा है और केंद्र सरकार को उनकी मदद के लिए कदम उठाने चाहिए।
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पवार ने कहा, ‘अतिवृष्टि के कारण संतरे को बहुत नुक़सान हुआ है। संतरा किसानों से मैंने ख़ुद चर्चा की है। 60 से 70 फीसदी तक उनकी फसल पूरी तरह से बर्बाद हो चुकी है। संतरा उत्पादक बहुत बड़े संकट से गुजर रहे हैं। महाराष्ट्र में किसानों की हालत दयनीय है और जो बची हुई फसल है उसमें भी घुन लगने की आशंका है।’
बीजेपी ने लोकसभा चुनावों के दौरान नारा दिया था - ‘मोदी है तो मुमकिन है’ लेकिन महाराष्ट्र की राजनीति में यह नारा विधानसभा चुनावों के बाद थोड़े से बदलाव के साथ ज्यादा चर्चा में आ गया है। नारे में मोदी का स्थान पवार ने ले लिया है और अब यह - ‘पवार है तो मुमकिन है’ बन गया है।
अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को चलाने में सबसे बड़ा सहारा जार्ज फ़र्नांडीज, जयललिता और ममता बनर्जी ही बने थे। उस समय भी हिंदुत्ववादी राजनीति के बड़े चेहरे लालकृष्ण आडवाणी को पीछे कर अटल बिहारी वाजपेयी को आगे लाया गया था। तब भी एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम बना था और आज भी महाराष्ट्र में ऐसा ही कार्यक्रम बन रहा है।
सूत्रों का कहना है कि सरकार गठन के फ़ॉर्मूले के तहत शिवसेना कोटे से 16, एनसीपी कोटे से 14 और कांग्रेस कोटे से 12 कैबिनेट मंत्री बनाए जा सकते हैं। विधानसभा स्पीकर का पद कांग्रेस को दिया जा सकता है जबकि डिप्टी स्पीकर की पोस्ट शिवसेना के खाते में जा सकती है। विधान परिषद अध्यक्ष का पद एनसीपी और और उपाध्यक्ष का पद शिवसेना के खाते में जा सकता है।
शिवसेना का बनेगा सीएम!
ऐसी अटकलें हैं कि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना को देने के साथ ही एनसीपी और कांग्रेस से एक-एक डिप्टी सीएम बनाए जा सकते हैं। सरकार गठन को लेकर शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की पुण्यतिथि यानी 17 नवंबर को कोई बड़ा एलान हो सकता है। शिवसेना ने अपने सभी विधायकों को 17 नवंबर को मुंबई में मौजूद रहने के लिए कहा है।
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