मौक़ा था शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे की सातवीं पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करने का। लेकिन सरकार बनाने के संघर्ष को लेकर शिवसेना-बीजेपी के बीच जो कड़वाहट उपजी है उससे यह पुण्य स्मरण दिन भी व्यंग्य बाणों से अछूता नहीं रहा। शिवसेना ने इस मौक़े पर जमकर शक्ति प्रदर्शन किया लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ट्वीट ने इसको एक अलग ही चर्चा का रूप देने की कोशिश की।
बीजेपी और शिवसेना, वर्षों से सत्ता और विपक्ष में साथ चले लेकिन अब उस सफर की सुनहरी यादों के बजाय कुछ टीस बाहर निकल रही है। कभी कार्टून, कभी ट्विटर पर शेर ओ शायरी, कभी मुखपत्रों में संपादकीय और अब वीडियो वार। महाराष्ट्र में जब से शिवसेना ने अपने 30 साल के राजनीतिक साथी बीजेपी से अलग होकर नए विकल्पों की राह पकड़ी है, दोनों पार्टियों में ‘रार’ है कि थमने का नाम नहीं ले रही है।
रविवार को शिवसेना संस्थापक बाला साहब ठाकरे की 7 वीं पुण्यतिथि पर भी यह 'रार' खुलकर सामने आयी और दोनों तरफ से सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करके एक-दूसरे पर हल्ला बोला गया। महाराष्ट्र में शिवसेना की सरकार बन जाती तो आज के दिन का महत्व उसके लिए और बढ़ गया होता लेकिन पार्टी ने दादर, शिवाजी मैदान स्थित उनके स्मारक शिवतीर्थ पर शक्ति प्रदर्शन कर इस बात को दर्शाने की कोशिश की कि वह सत्ता के करीब है।
बदले हुए राजनीतिक समीकरण में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रमुख शरद पवार की तरफ से भी बाला साहब ठाकरे का अभिवादन किया गया। पवार ने उन्हें राजनीति से ज्यादा समाज सेवा करने वाला, मराठी लोगों के हक़ की आवाज उठाने में आगे रहने वाला नेता बताया। नितिन गडकरी ने भी उनका अभिवादन किया लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने उनके अभिवादन को भी एक राजनीतिक रूप दे दिया।
फडणवीस ने बाला साहेब के भाषणों का एक वीडियो ट्वीट किया है। इसमें फडणवीस ने लिखा - ''आदरणीय बाला साहेब ने हम सबको स्वाभिमान का संदेश दिया था।'' फडणवीस द्वारा पोस्ट किये गए वीडियो में बाला साहेब स्वाभिमान और हिंदुत्व को नहीं छोड़ने की बात कह रहे हैं।
स्वाभिमान जपण्याचा मूलमंत्र आदरणीय बाळासाहेबांनी आपल्या सर्वांना दिला ! pic.twitter.com/sPdALKDlzS
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 17, 2019
सबसे पहले 25 अक्टूबर के दिन संजय राउत ने अपने ट्विटर हैंडल से एक व्यंग्य चित्र ट्वीट किया था जिसमें शेर के हाथ में कमल का फूल था उसके गले में घड़ी थी। ‘बुरा ना मानो दिवाली’ कहकर उनके इस ट्वीट ने इस बात के संकेत दिए थे कि शिवसेना के पास दोनों विकल्प हैं यानी बीजेपी के अलावा एनसीपी भी एक विकल्प है। इसके जवाब में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सर्कस के रिंग मास्टर की तरह से शेर को फंदे में लेने वाला कार्टून ट्वीट किया गया जिसमें लिखा था - 'आख़िर तुम्हें आना है जरा देर लगेगी।' इस कार्टून वॉर के बाद जैसे ही दीपावली के दिन फडणवीस ने बयान दिया कि 'अगला मुख्यमंत्री मैं ही बनूँगा और 50:50 का कोई वादा नहीं था’ तो दोनों पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप बढ़ गये।
इसके बाद शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में संपादकीय लिखकर संजय राउत ने बीजेपी को घेरा था। संपादकीय में लिखा था, ‘महाराष्ट्र की जनता को सत्ता का उन्माद मान्य नहीं था और आगे भी नहीं रहेगा। महाराष्ट्र की जनता ने जो जनादेश दिया है वह सरल और स्पष्ट है। उसका अर्थ है हवा में मत उड़िये और सत्ता के मद (घमंड) में मत रहिये।’
कुछ दिन बाद राउत ने बीजेपी की राजनीति को गुंडागर्दी तक कहा और यह भी कहा कि सत्ता नहीं रहने पर बंदर और कुत्ते भी आसपास नहीं रहते। इसी क्रम में बीजेपी से सम्बन्ध रखने वाले एक समाचार पत्र 'तरुण भारत' में संपादकीय छपा जिसमें संजय राउत की तुलना विक्रम-बेताल की कहानियों के किरदार बेताल से की गयी तथा उन्हें विदूषक बताया गया।
इसी वाक युद्ध में ट्विटर, प्रेस कॉन्फ़्रेंस और मीडिया के माध्यम से दोनों तरफ से बयानबाजी जारी रही। इस बीच प्रदेश में राष्ट्रपति शासन भी लग गया और बहुमत सिद्ध करने के लिए समय सीमा नहीं बढ़ाये जाने को लेकर राज्यपाल की भूमिका पर संदेह भी व्यक्त किया गया। शिवसेना ने एनडीए से नाता तोड़कर कांग्रेस और एनसीपी के नेताओं से एक न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत सरकार बनाने की पहल भी शुरू कर दी है लेकिन सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के पास कब दावा पेश किया जाएगा यह सवाल अभी भी बना हुआ है। लेकिन इस सबके बीच बीजेपी-शिवसेना नेताओं के व्यंग्य बाण भी जारी हैं और शायद यह सत्ता बनने के बाद भी पक्ष-विपक्ष के रूप में विधानसभा के सदन में भी देखने के लिए मिलेंगे।
फडणवीस के सामने नारेबाज़ी
बाला साहेब ठाकरे की स्मृति सभा में शिवसेना के अलावा बीजेपी नेता भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। कार्यक्रम में शामिल हुए पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को श्रद्धांजलि देने के बाद वापस आते वक्त शिवसैनिकों की ओर से नारेबाजी का सामना करना पड़ा। कार्यकर्ताओं ने उनके सामने नारे लगाये - 'सरकार किसकी? शिवसेना की।' कार्यक्रम में फडणवीस के अलावा पंकजा मुंडे और विनोद तावड़े भी शामिल हुए।
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