मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का खेमा शिवसेना के भीतर मजबूत होता जा रहा है। मंगलवार को शिवसेना के 12 सांसद लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मिले और उन्होंने लोकसभा में फ्लोर लीडर को बदलने का अनुरोध किया। इस दौरान मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे भी मौजूद रहे।
यह साफ है कि इन सभी सांसदों ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के गुट का साथ छोड़ दिया है और शिंदे गुट के साथ आ गए हैं। इससे पहले बड़ी संख्या में विधायक, पार्षद, जिला प्रमुख ठाकरे गुट का साथ छोड़कर शिंदे गुट के साथ आ चुके हैं।
लोकसभा स्पीकर से मिलने वाले शिवसेना के सांसदों में धैर्यशील संभाजीराव माने, सदाशिव लोखंडे, हेमंत गोडसे, हेमंत पाटिल, राजेंद्र गावित, संजय मांडलिक, श्रीकांत शिंदे, श्रीरंग बार्ने, राहुल शेवाले, प्रतापराव गणपतराव जाधव, कृपाल तुमाने और भावना गवली शामिल हैं।
मंगलवार को ही इन सभी सांसदों को वाई श्रेणी की सुरक्षा भी दी गई है। इनके सांसद आवास और दफ्तरों पर भी सुरक्षा पुख्ता कर दी गई है।
सांसदों ने लोकसभा स्पीकर से अनुरोध किया कि वह लोकसभा में शिवसेना के फ्लोर लीडर के रूप में विनायक राउत की जगह राहुल शेवाले को नियुक्त करें। विनायक राउत की ओर से सोमवार रात को लोकसभा स्पीकर को पत्र लिखकर कहा गया था कि उन्हें शिवसेना के संसदीय बोर्ड और पार्टी के चीफ व्हिप राजन विचारे की ओर से फ्लोर लीडर नियुक्त किया गया है।
यह साफ दिख रहा है कि उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना पर पकड़ कमजोर होती जा रही है और तमाम बड़े नेता लगातार उसका साथ छोड़ कर जा रहे हैं। राष्ट्रपति के चुनाव में उद्धव ठाकरे को एकनाथ शिंदे गुट के दबाव में आकर द्रौपदी मुर्मू का समर्थन करना पड़ा।
चुनाव आयोग, सुप्रीम कोर्ट पर नज़र
शिवसेना के भीतर चल रहे इस सियासी घमासान में अब बड़ी नजर चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट पर है। सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की ओर से दायर की गई कई याचिकाओं पर बुधवार को सुनवाई होगी जबकि चुनाव आयोग में असली शिवसेना किसकी है, इसे लेकर भी आने वाले दिनों में जबरदस्त घमासान देखने को मिलेगा।
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शिंदे बने मुख्य नेता
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को ही उद्धव ठाकरे को बड़ा झटका दिया था और शिवसेना की पुरानी राष्ट्रीय कार्यकारिणी को बर्खास्त कर नई कार्यकारिणी की घोषणा की थी। नई कार्यकारिणी में एकनाथ शिंदे को मुख्य नेता के तौर पर नियुक्त किया गया है। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए कई नेताओं को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। लेकिन शिवसेना से निकाले जाने वाले इन नेताओं को एकनाथ शिंदे का गुट लगातार अपने साथ जोड़ रहा है।
निश्चित रूप से आने वाले दिन उद्धव ठाकरे और उनके करीबियों के लिए बेहद मुश्किल भरे हो सकते हैं और देखना होगा कि इस घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट से क्या फैसला आता है।
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