महाराष्ट्र में जब से शिवसेना ने साथ छोड़ा है भारतीय जनता पार्टी के नेता उसके हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर सवाल खड़े करते रहे हैं। बार-बार बालासाहब ठाकरे का भी हवाला देकर शिवसेना को घेरा जाता है कि वे आज होते तो इस मुद्दे पर यह कहते और उस मुद्दे पर उनकी राय यह रही होती। लेकिन शिवसेना ने भी अब हिंदुत्व के मुद्दे पर बीजेपी और संघ परिवार को घेरना शुरू कर दिया है। शिवसेना प्रवक्ता और सांसद संजय राउत ने बीजेपी के साथ-साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी निशाने पर लिया है। राउत ने कहा, 'गंगा नदी में बहते हुए शव भी हिंदुत्व का ही मुद्दा है और यह राम मंदिर जितना ही महत्वपूर्ण भी है।’
उन्होंने कहा कि हमें अपेक्षा थी कि स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत इस बारे में अपना मत व्यक्त करते, लेकिन अभी तक वे खामोश हैं। उन्होंने कहा कि मोहन भागवत जी का हम सम्मान करते हैं वे आदरणीय हैं ,लेकिन हम यह भी अपेक्षा रखते हैं कि गंगा में बहाए गए शवों के बारे में भी वे अपनी राय व्यक्त करें।
संजय राउत ने आज गंगा में बहते शवों को लेकर भले ही मोहन भागवत पर निशाना साधा है लेकिन दो दिन पहले उन्होंने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी कड़ी टिप्पणी की थी। राउत ने एक लेख के माध्यम से कोरोना को लेकर केंद्र सरकार की रणनीति की जमकर खिंचाई की। उन्होंने कहा था कि गंगा की लहरों पर तैरते पाप की ज़िम्मेदारी तो लो। राउत ने कहा, ‘गंगा की लहरों पर तैरते शवों को शायद ऑक्सीजन और वैक्सीन नहीं मिली, लेकिन उन्हें गौ मूत्र तो मिलना ही चाहिए था।’
उन्होंने कहा कि बीजेपी की सांसद प्रज्ञा सिंह कहती हैं कि गौ मूत्र की वजह से कोरोना उन तक पहुँचा नहीं। सांसद का यह संदेश शायद उन लोगों तक नहीं पहुँचा अन्यथा गंगा में फेंकने की नौबत नहीं आयी होती।
उन्होंने कहा- सभी तरफ़ हाहाकार मचा हुआ है और हमारे यहाँ क्या चल रहा है? सीबीआई और अन्य एजेंसियों के माध्यम से सरकार विरोध के स्वर दबाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में सीबीआई विधान सभा अध्यक्ष की इजाजत के बिना मंत्रियों को गिरफ्तार कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों का दौरा किया, क्या हासिल हुआ? हमारे देश में बनी वैक्सीन का सौदा अमेरिका जैसे देशों ने पहले ही बड़े पैमाने पर कर लिया। वैक्सीन पहले उनके पास पहुँच गयी और हमारा देश शवों से पट रहा है। पूरी दुनिया कोरोना से लड़ाई कैसे लड़ी जाए यह सोच रही थी और हमारी सरकार इस बात में व्यस्त थी कि चुनाव कैसे जीता जाए।’
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