सामना में संपादकीय-आज कल हमारे देश में कोई भी किसी को तालिबानी कह रहा है। क्योंकि अफ़ग़ानिस्तान का तालिबानी शासन मतलब समाज व मानव जाति के लिए सबसे बड़ा ख़तरा है। पाकिस्तान, चीन जैसे राष्ट्रों ने तालिबानी शासन का समर्थन किया है, क्योंकि इन दोनों देशों में मानवाधिकार, लोकतंत्र, व्यक्तिगत स्वतंत्रता का कोई मोल नहीं बचा है। हिंदुस्तान की मानसिकता वैसी नहीं दिख रही है। हम हर तरह से ज़बरदस्त सहिष्णु हैं। लोकतंत्र के बुरके की आड़ में कुछ लोग तानाशाही लाने का प्रयास कर रहे होंगे फिर भी उनकी सीमा है। इसलिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तुलना तालिबान से करना उचित नहीं है।