क्या महाराष्ट्र की महा विकास आघाडी सरकार में शामिल एनसीपी बीजेपी को लेकर नरम है। ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एनसीपी के प्रमुख शरद पवार के साथ मुलाकात में इस मुद्दे को उठाया है कि एनसीपी का रूख बीजेपी के प्रति नरम है।
ठाकरे ने कहा है कि जब महा विकास आघाडी के नेता केंद्रीय एजेंसियों के टारगेट पर हैं इसके बाद भी एनसीपी मुखर नहीं है।
शिवसेना ने ऐसे कुछ मौक़ों का ब्यौरा भी दिया है, जहां पर एनसीपी बीजेपी के खिलाफ बैकफुट पर दिखाई दी है। इन मौक़ों का ब्यौरा इस तरह है।
1- 13 मार्च को जब मुंबई पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को साइबर विंग के सामने बुलाए जाने का अपना फैसला बदला तो शिवसेना इसे लेकर खुश नहीं थी। क्योंकि गृह मंत्रालय एनसीपी के पास है।
2- जब एनसीपी के नेता नवाब मलिक को ईडी ने पिछले महीने गिरफ्तार किया। इसके बाद बीजेपी और शिवसेना के बीच में जमकर जुबानी जंग हुई जबकि उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने मीडिया से कहा कि इस वक्त दोनों पक्षों को शांत रहना चाहिए और चीजों को बेकाबू होने से रोकना चाहिए।
3- बीते साल जब बीजेपी के 12 विधायकों को विधानसभा से 1 साल के लिए निलंबित कर दिया गया था तब भी अजित पवार ने कहा था कि विधायकों को उनके खराब व्यवहार के लिए कुछ घंटों या 1 दिन के लिए निलंबित किया जा सकता है न कि पूरे साल भर के लिए।
4- 28 मार्च को एनसीपी के नेता मजीद मेमन ने ट्वीट किया कि अगर नरेंद्र मोदी लोगों का भरोसा जीतते हैं और दुनिया में सबसे लोकप्रिय नेता के रूप में दिखाई देते हैं तो उनमें कुछ विशेषताएं जरूर होंगी या उन्होंने बेहतर काम किए होंगे जिन्हें विपक्ष के नेता नहीं ढूंढ पा रहे हैं।
...एनसीपी बैकफुट पर
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, शिवसेना के एक आला नेता ने कहा कि केवल शिवसेना ही लड़ाई लड़ रही है। शिवसेना के कार्यकर्ता फ्रंट फुट पर हैं जबकि एनसीपी बैकफुट पर दिखाई देती है। शिवसेना नेता ने कहा कि एनसीपी बीजेपी के खिलाफ उस तरह से मुखर नहीं है जिस तरह उसे होना चाहिए।
शिवसेना नेता ने कहा कि उद्धव ठाकरे ने यह बात शरद पवार तक पहुंचा दी है और आने वाले दिनों में कुछ बदलाव देखने को मिलेंगे।
शिवसेना का दावा खारिज
हालांकि एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई के प्रवक्ता महेश तपासे ने शिवसेना नेता के दावों को खारिज किया और कहा कि हम केंद्र सरकार की नीतियों की जमकर आलोचना कर रहे हैं और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग पर भी सवाल उठा रहे हैं। एनसीपी के खुद दो बड़े नेता जेल की सलाखों के पीछे हैं और दो नेताओं के खिलाफ जांच चल रही है।
जबकि एनसीपी के एक सीनियर नेता ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि जब एनसीपी बीजेपी के खिलाफ मुखर होती है तो शिवसेना के कुछ नेताओं को लगता है कि एनसीपी को और ज्यादा आक्रामक होना चाहिए क्योंकि गृह विभाग उसके पास है।
महाराष्ट्र में साल 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी शिवसेना का गठबंधन टूट गया था और शिवसेना ने विरोधी विचारधारा वाली पार्टियों कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई थी।
बीजेपी के कई नेता ठाकरे सरकार के जल्द गिरने का दावा करते रहे हैं लेकिन अब तक ऐसा नहीं हो सका है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ठाकरे सरकार के गिरने की चर्चाओं ने फिर से जोर पकड़ा है।
निशाने पर नेता
पिछले 2 सालों में केंद्रीय एजेंसियों ने एनसीपी और शिवसेना के कई नेताओं पर शिकंजा कसा है। इनमें एकनाथ खडसे, अनिल देशमुख, नवाब मलिक, अजित पवार जैसे बड़े नेताओं के नाम भी शामिल हैं। कुछ दिन पहले उद्धव ठाकरे ने केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग को लेकर बीजेपी पर हमला बोला था।
पटोले का ठाकरे को पत्र
कुछ दिन पहले महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले ने भी मुख्यमंत्री और शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखकर सनसनी फैला दी थी। नाना पटोले ने ठाकरे से कहा था कि सरकार को कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत चलना चाहिए। बीते दिनों में यह भी खबर आई है कि महाराष्ट्र कांग्रेस के 25 विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी और उनसे मिलने का वक्त मांगा है। यानी कि कांग्रेस के अंदर भी कुछ गड़बड़ चल रही है।
बीएमसी चुनाव
महाराष्ट्र में बहुत जल्द बृहन्मुंबई महानगर पालिका के चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में महा विकास आघाडी के दल साथ मिलकर उतरेंगे या नहीं इसे लेकर भी शंका है लेकिन इससे पहले इन दलों के बीच खटपट होने की खबरें निश्चित रूप से कुछ गड़बड़ होने का संकेत दे रही हैं।
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