सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जुड़े ड्रग्स मामले में रिया चक्रवर्ती को बुधवार को जमानत मिल गई है और कागजी कार्रवाई पूरी होने के बाद शाम को उन्हें रिहा कर दिया गया। लेकिन इस संबंध में मुंबई पुलिस ने मीडिया को लेकर जो दिशा-निर्देश जारी किए हैं, वे बहुत गंभीर हैं।
पुलिस ने कहा है कि रिहाई के बाद रिया का पीछा करना गैर कानूनी होगा। ऐसा करने वाले वाहनों को जब्त कर लिया जाएगा। सिग्नल पर यदि रिया की गाड़ी रुकी और कोई उसके विजुअल्स या बाइट लेने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जाएगा। पुलिस ने कहा कि पीछा करने वाले मीडियाकर्मी अपनी तथा सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों की जान के लिए खतरे जैसी स्थितियां पैदा कर देते हैं।
पुलिस ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह इस प्रकार का व्यवहार करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी। पुलिस के इन दिशा-निर्देशों को इस प्रकरण में मीडिया द्वारा किये गए व्यवहार के तौर पर देखा जा रहा है।
करीब ऐसा ही दृश्य डीआरडीओ गेस्ट हाउस से इस मामले के एक अन्य आरोपी सिद्धार्थ पिठानी के साथ देखने को मिला था, जब सीबीआई से पूछताछ के बाद वे अपने घर के लिए निकल रहे थे। एक चैनल का रिपोर्टर सिद्धार्थ की कार के दरवाजे के बीच में खड़ा हो गया और बार-बार मना करने के बावजूद वह वहां से हटे बिना सवाल करता रहा।
गोदी मीडिया के न्यूज़ चैनल्स के स्टूडियो से लेकर सड़क तक इस मामले में जो हुआ उसे कम से कम पत्रकारिता तो नहीं कहा जा सकता। बात सुशांत सिंह की आत्महत्या को हत्या बताने से शुरू हुई थी और ऐसे-ऐसे दावे न्यूज़ चैनल्स के स्टूडियो से किये जाने लगे जैसे कोई क्राइम स्टोरी का प्लॉट उन्हें मिल गया हो।
कंगना रनौत की एंट्री
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर पुलिस की हर कार्रवाई पर सवाल उठाये गए। मामला सीबीआई को सौंप दिया तो कंगना रनौत की एंट्री हुई। कंगना ने मुंबई की तुलना पाक अधिकृत कश्मीर से कर डाली। केंद्र सरकार ने कंगना को वाई कैटेगरी की सुरक्षा प्रदान कर मुंबई भेजा जैसे वह शिव सेना को यह चुनौती दे रही थी कि वह अपनी ताकत के दम पर कुछ भी करा सकती है।
नशे का एंगल
गोदी मीडिया द्वारा मुंबई पुलिस ही नहीं मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार पर भी सीधे आरोप लगाए गए। आत्महत्या जब हत्या सिद्ध होती नहीं दिखी तो मामला नशे की तरफ मोड़ दिया गया और निशाने पर बॉलीवुड की हस्तियों को ले लिया गया। यह बताने की कोशिश की जाती रही कि जैसे नशे का पूरा रैकेट प्रदेश सरकार की शह पर संचालित होता है।
बॉलीवुड में ड्रग्स कनेक्शन को लेकर रिया का नाम आने पर देखिए वीडियो-
‘बिहारी बनाम बंगाली’
हत्या मामले से शुरू हुई कहानी में नशे का मोड़ आने पर रिया की गिरफ्तारी हो गयी। सुशांत सिंह के वकील मामले में अदालत से ज्यादा मीडिया में पक्ष रखते नजर आये। मुद्दा यहीं नहीं रुका बिहारी बनाम बंगाली तक पहुंच गया।
महाराष्ट्र सरकार और शिवसेना का बिहारियों को लेकर क्या नजरिया है इस पर भी बहसें हुईं। सोशल मीडिया और खासकर ट्विटर पर करीब एक माह तक सुशांत को इंसाफ पर रिया और बॉलीवुड ही नहीं शिव सेना के खिलाफ ट्रेंड चलाये गए। लेकिन अब रिया जेल से बाहर आ गई हैं।
8 सितंबर के बाद से ही रिया चक्रवर्ती न्यायिक हिरासत में मुंबई की भायखला जेल में बंद थीं। कोर्ट ने रिया चक्रवर्ती को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी है। कोर्ट ने कहा है कि रिया को 10 दिनों में एक बार पुलिस स्टेशन जाकर हाजिरी लगानी होगी और जेल से रिहा होने के बाद अपना पासपोर्ट भी जमा करना होगा।
कोर्ट ने कहा कि वह बिना अनुमति के विदेश यात्रा पर नहीं जा सकती हैं और मुंबई छोड़ने से पहले उन्हें जांच अधिकारी को सूचित करना होगा। लेकिन रिया चक्रवर्ती को मिली यह जमानत अपने पीछे कई सवाल खड़े करती है।
यह मीडिया के चाल-चरित्र और सुपारी पत्रकारिता की तरफ भी इशारा करती है। सुशांत सिंह मौत प्रकरण में जिस तरह से पत्रकारिता की गयी है, उस पर अंकुश लगाने या पत्रकारिता की सीमा निर्धारित करने को लेकर मुंबई उच्च न्यायालय में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्तों व समाजसेवी संगठनों द्वारा दो याचिकाएं भी दायर की गयी हैं। जिनकी सुनवाई के दौरान अदालत ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा होने की टिप्पणी भी की है।
इन याचिकाओं पर क्या निर्णय आता है यह तो समय बताएगा लेकिन इस पूरे प्रकरण में बहुत सी बातें ऐसी हुई हैं, जो एक सभ्य या लोकतांत्रिक समाज में नहीं होनी चाहिए।
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