महाराष्ट्र की राजनीति में आख़िर चल क्या रहा है? शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत पिछले महीने देवेंद्र फडणवीस की तारीफ़ कर रहे थे तो अब शरद पवार एकनाथ शिंदे का सम्मान कर रहे हैं। अब संजय राउत ने शरद पवार द्वारा शिंदे को सम्मानित किए जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि आख़िर एमवीए सरकार को गिराने और शिवसेना को तोड़ने वाले 'ट्रेटर' को पवार साहब सम्मानित क्यों कर रहे हैं? इस पर शरद पवार की पार्टी ने कहा है कि पवार ने शिंदे को सम्मानित करके राजनेता की अनूठी मिसाल कायम की है।
संजय राउत की शरद पवार को लेकर यह टिप्पणी तब आई है जब महाराष्ट्र में राजनीतिक गहमागहमी चल रही है। राउत ने पवार को लेकर क्या कहा है और क्या सवाल उठाए हैं, यह जानने से पहले यह जान लें कि राज्य में हाल में क्या-क्या घटनाक्रम चले हैं।
हाल ही में महायुति में सबकुछ ठीक नहीं चलने के कयास लगाए गए हैं। कुछ दिन पहले ही एक रिपोर्ट आई थी कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा बुलाई गई बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे शामिल नहीं हुए। हाल में यह दूसरी बार ऐसा हुआ कि वह बैठक में शामिल नहीं हो पाए। तब शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने दावा किया था कि शिंदे सीएम पद को लेकर अपमानित होने के कारण ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने सामना में लिखा था कि फडणवीस और शिंदे में तनाव चल रहा है। राउत ने तो यह भी दावा किया था कि शिंदे का फ़ोन टैप किया जा रहा है।
इसी शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने एकनाथ शिंदे को सम्मानित किए जाने पर सवाल उठाया है। शिंदे को मंगलवार को दिल्ली में महादजी शिंदे राष्ट्रीय गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया गया। यह कार्यक्रम 21 से 23 फरवरी तक दिल्ली में होने वाले 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन की पृष्ठभूमि में आयोजित किया गया था। शरद पवार सम्मेलन की स्वागत समिति के अध्यक्ष हैं, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे।
2019 में एमवीए बनाने के लिए दोनों दलों ने कांग्रेस पार्टी से हाथ मिलाया था। इसके बाद उद्धव सेना द्वारा शरद पवार पर यह पहला हमला है।
संजय राउत ने दिल्ली में इस मुद्दे पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की। राउत ने कहा, 'महाराष्ट्र की राजनीति बहुत अजीब दिशा में जा रही है। हमें यह समझने की ज़रूरत है कि कौन किसको धोखा दे रहा है। महाराष्ट्र की सरकार गिराने वाले और बेईमानी करने वाले एकनाथ शिंदे को शरद पवार द्वारा सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए था। यह हमारी भावना है।'
उन्होंने कहा, 'हम महाराष्ट्र के लोगों का सामना कैसे करेंगे? यह सच है कि राजनीति में कोई स्थायी दोस्त या दुश्मन नहीं होता। लेकिन जिन्होंने महाराष्ट्र को नुक़सान पहुंचाया है और जिन्हें हम राज्य का दुश्मन मानते हैं, उनका सम्मान करना महाराष्ट्र के गौरव और स्वाभिमान का अपमान है। यह हमारी राय है, हालांकि पवार के विचार अलग हो सकते हैं। हालांकि, महाराष्ट्र के लोगों ने इसे स्वीकार नहीं किया है क्योंकि हम शरद पवार का सम्मान करते हैं।'
राउत ने कहा, 'हमें इस बात से बहुत दुख हुआ है कि शिवसेना को तोड़ने वालों को सम्मानित किया जा रहा है। दिल्ली की राजनीति अलग हो सकती है, लेकिन इससे हमें दुख हुआ है। राजनीति में कुछ चीजों से बचना चाहिए। आप अजित पवार के साथ गुप्त चर्चा कर सकते हैं, लेकिन हम इन मामलों के बारे में सचेत होकर आगे बढ़ते हैं।' शिवसेना (यूबीटी) नेता ने मराठी साहित्य सम्मेलन के आयोजकों की भी आलोचना की। उन्होंने कहा, 'दिल्ली में साहित्य सम्मेलन नहीं, बल्कि राजनीतिक दलाली हो रही है। पुरस्कार बेतरतीब ढंग से दिए जा रहे हैं और लोगों को बेवजह सम्मानित किया जा रहा है। इन लोगों का साहित्य से क्या संबंध है?'
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस पर प्रतिक्रिया में एनसीपी (एसपी) के सांसद अमोल कोल्हे ने कहा कि शिंदे को दिया गया सम्मान किसी भी तरह से अनुचित नहीं है। उन्होंने कहा कि पवार ने शिंदे को सम्मानित करके राजनेता की अनूठी मिसाल कायम की है।
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फडणवीस की तारीफ़ क्यों कर रहे थे राउत?
संजय राउत ने पिछले महीने ही पार्टी के मुखपत्र में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस की जमकर तारीफ़ की थी और जब दूसरे दिन पत्रकारों ने इस पर सवाल पूछा तो उन्होंने इस पर जोर देते हुए इसकी पुष्टि भी की। पहले शिवसेना यूबीटी नेता बीजेपी के सहयोगी रहे हैं। शिवसेना यूबीटी में तोड़फोड़ के लिए राउत पहले देवेंद्र फडणवीस को ज़िम्मेदार ठहराते रहे थे।
शिवसेना बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी थी, लेकिन 2019 में मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद के चलते उसने बीजेपी से नाता तोड़ लिया। 2022 में शिवसेना में तब विभाजन हो गया था, जब एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में विधायकों के एक वर्ग ने बगावत कर बीजेपी से हाथ मिला लिया।
संजय राउत ने शिवसेना को तोड़ने का आरोप लगाने के महीनों बाद मुंबई में पत्रकारों से कहा था, 'अगर कोई सरकार आपकी विचारधारा से जुड़ा नहीं है, लेकिन उसने कुछ अच्छे कदम उठाए हैं, खासकर कानून और व्यवस्था की स्थिति को लेकर, और सामाजिक समानता की दिशा में काम कर रही है, तो वह प्रशंसा की हकदार है।' राउत शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में ‘देवभाऊ अभिनंदन’ शीर्षक से संपादकीय में फडणवीस की प्रशंसा के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
नक्सलियों के आत्मसमर्पण का ज़िक्र करते हुए राउत ने कहा था, 'नक्सलियों ने अपने हथियार डाल दिए और संविधान को स्वीकार कर लिया। हर मराठी मानुष और भारत को इस उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए। ...अगर गढ़चिरौली में विकास होने वाला है, तो कोई कारण नहीं है कि फडणवीस की प्रशंसा न की जाए।'
एक और अहम बात है कि फडणवीस सरकार में शामिल शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के हाल के दिनों में नाराज़ होने की ख़बरें आती रही हैं। तो क्या महाराष्ट्र की राजनीति में वाक़ई हलचल होने वाली है?
क़रीब हफ़्ते भर पहले ही संजय राउत ने दावा किया था कि शिंदे सेना के एक विधायक ने उन्हें बताया है कि उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे अपमानित होने के दर्द से बाहर निकल नहीं पा रहे हैं। विधायक ने कथित तौर पर राउत को बताया कि पिछले ढाई साल के दौरान, तत्कालीन सीएम शिंदे और फडणवीस के बीच मतभेद थे और वे दो दिशाओं में चल रहे थे, इस वजह से अब फडणवीस अपना बदला ले रहे हैं। राउत ने शिवसेना यूबीटी के मुखपत्र सामना में बड़ा दावा किया था कि सीएम देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री शिंदे के बीच अनबन है और बीजेपी शिंदे और उनके लोगों के फ़ोन टैप करवा रही है। राज्यसभा सांसद संजय राउत ने संपादकीय में दावा किया था कि शिंदे को विश्वास है कि उनके और उनकी पार्टी के लोगों के फ़ोन टैप किए जा रहे हैं। उन्हें संदेह है कि दिल्ली में एजेंसियां उनकी गतिविधियों पर नजर रख रही हैं और शिंदे को बहुत परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा था कि शिंदे की पार्टी के एक विधायक ने उन्हें विमान यात्रा के दौरान बातचीत में यह जानकारी दी।
तो अब सवाल यह उठ रहा है कि कौन सी पार्टी किस गठबंधन से नाराज़ है और किस पार्टी के साथ क्या चल रहा है? यह बेहद पेचीदा होता जा रहा है।
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