महाराष्ट्र में एनसीपी फिर से टूटने के कगार पर पहुंच गई है। इस समय दिल्ली से लेकर मुंबई तक जो राजनीतिक गतिविधियां चल रही हैं, उनसे संकेत मिल रहे हैं कि अजित पवार 30-35 विधायकों के समर्थन के साथ एनसीपी से अलग होकर बीजेपी के साथ मिलकर महाराष्ट्र में अपनी सरकार बना सकते हैं। हालांकि न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर में कहा गया है कि अजीत पवार ने एनसीपी के 40 विधायकों के समर्थन का पत्र हासिल कर लिया है।
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एकनाथ शिंदे के जरिए शिवसेना को तोड़ने और कमजोर करने वाली बीजेपी अब एनसीपी को भी उसी दांव से तोड़ने के सपने देख रही है। इसे 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारी से जोड़कर देखा जा रहा है। बीजेपी के रणनीतिकार मान कर चल रहे हैं कि अगर शिवसेना की तरह एनसीपी भी कमजोर हो जाए तो फिर 2024 में महाराष्ट्र में उसे क्लीन स्वीप से कोई रोक नहीं सकता।
महाराष्ट्र में एक सप्ताह से ज्यादा समय से राजनीतिक उथल-पुथल चल रही है। भाजपा से हाथ मिलाने के बाद बागी शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने एक साल से भी कम समय में सीएम के रूप में पदभार संभाला। अब अगर एनसीपी टूटती है तो पहला खतरा शिंदे की कुर्सी को होगा। इसलिए महाराष्ट्र में आने वाले दिन काफी उथल पुथल वाले हैं।
आगे जो घटनाक्रम संभावित है- दिल्ली में बीजेपी आलाकमान की हरी झंडी मिलते ही अजीत पवार और बीजेपी के देवेंद्र फडणवीस के साथ राज्यपाल से मिलने जाएंगे। वहां एनसीपी के विधायकों का पत्र राज्यपाल को सौंपा जाएगा। राज्यपाल उसी समय या अगले दिन अजीत पवार को सीएम पद की शपथ दिला देंगे। अब सिर्फ दिल्ली से बीजेपी आलाकमान यानी मोदी-शाह के संकेत का इंतजार है। मुंबई में पूरी तैयारी हो चुकी है।
हालांकि शिवसेना (यूबीटी) के नेता संजय राउत ने रविवार को दावा किया था कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने हाल ही में उद्धव ठाकरे से कहा कि उनकी पार्टी कभी भी भाजपा के साथ हाथ नहीं जोड़ेगी। यह अलग बात है कि कोई व्यक्तिगत निर्णय लेता है। शरद पवार का इशारा अपने भतीजे अजीत पवार की तरफ था। इस बीच दो एनसीपी विधायकों ने कहा कि वे अपने नेता अजीत पवार के प्रति वफादार रहेंगे, चाहे वह आने वाले दिनों में कोई भी 'निर्णय' ले। अजीत पवार को लेकर तब अटकलें और बढ़ीं जब उन्होंने अपनी पुणे रैली रद्द कर दी।
संकेत यही है कि विधानसभा में विपक्ष के नेता और चार बार के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा के साथ हाथ मिलाने के लिए पार्टी तोड़ सकते हैं। हालांकि विपक्ष के विधायकों ने यह बात कही है। हालांकि, अजित पवार ने सोमवार को इन खबरों को झूठा करार दिया था कि उन्होंने मंगलवार को विधायकों की बैठक बुलाई है। फिलहाल अभी तक ऐसी बैठक होने की कोई खबर नहीं है।
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि विपक्ष के 53 में से लगभग 34 विधायकों ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने और शिंदे-फडणवीस सरकार का हिस्सा बनने के अजित पवार के इरादे का आंतरिक रूप से समर्थन किया है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक सूत्रों ने कहा कि प्रफुल्ल पटेल, सुनील तटकरे, छगन भुजबल और धनंजय मुंडे सहित प्रमुख चेहरों ने अजीत पवार के इरादों का समर्थन किया है। हालांकि, राज्य एनसीपी अध्यक्ष जयंत पाटिल और पार्टी नेता जितेंद्र अवध उनके भाजपा से हाथ मिलाने के पक्ष में नहीं हैं।
सूत्रों के मुताबिक, अजीत खेमे के कुछ विधायकों ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की और उन्हें सूचित किया कि विधायक भाजपा के साथ गठबंधन करने को तैयार हैं। हालांकि शरद पवार ने पहले ही भाजपा के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया था।
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक एनसीपी के 53 में से करीब 40 विधायकों ने अब तक सहमति पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। समय आने पर सूची राज्यपाल को सौंपी जाएगी। यह जानकारी एनसीपी के सूत्रों ने दी है।
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