प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्मार्ट सिटी की घोषणा को छोड़ दें तो उससे पहले भी मुंबई को कभी हांगकांग तो कभी शंघाई बनाने के सपने दिखाए गए। लेकिन जब शहर में बारिश आती है तो न तो सड़क पर गाड़ियाँ, ट्रैक पर रेल और न ही हवा में हवाई जहाज़ चल पाते हैं। सबकुछ जलमग्न हो जाता है और तेज़ गति से दौड़ने वाली देश की आर्थिक राजधानी थम-सी जाती है। पहले यह सालों बाद हुआ करता था, लेकिन अब यह एक सिलसिला-सा बन गया है। लेकिन कोई ठोस उपाय अब तक नज़र नहीं आये हैं। हर मानसून में कुछ लोग मारे जाते हैं, कोई इमारत ढह जाती है, जाँच बैठती है और ‘बारिश ख़त्म, बात ख़त्म’ जैसा होकर शहर फिर अपनी रफ़्तार से चलने लगता है।