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मोदी नहीं बनेंगे दुबारा पीएम, शरद पवार ने ऐसा क्यों कहा

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार जब बोलते हैं तो राजनीति के गलियारों में उनके बयानों पर बड़ी चर्चा होती है और इसके मायने निकाले जाते हैं। न्यूज़ चैनलों के तमाम सर्वेक्षणों और दावों में जहाँ भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगियों को सबसे ज़्यादा सीटें देने की भविष्यवाणी हो रही है, उसी बीच शरद पवार की भविष्यवाणी ने हलचल पैदा कर दी है।

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पवार ने कहा है कि बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी लेकिन नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे। पवार ने यह भी कहा कि वह 14 और 15 मार्च को दिल्ली में देश भर के कुछ क्षेत्रीय दलों से मिलेंगे, जहां महागठबंधन की आगे की रणनीति पर चर्चा की जाएगी। एनसीपी अध्यक्ष ने कहा कि महाराष्ट्र में एनसीपी और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारे के फ़ॉर्मूले को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है और जल्द ही एक आधिकारिक घोषणा की जाएगी। 
पवार ने एक और भविष्यवाणी राज ठाकरे की महाराष्ट्र नव निर्माण सेना को लेकर की। उन्होंने कहा कि आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनावों में यह पार्टी नए समीकरण बनाएगी और इसकी ताक़त बढ़ेगी।
शरद पवार का यह बयान राज ठाकरे से बढ़ती हुई उनकी नज़दीकियों को लेकर आया है या पवार शिवसेना में चल रहे अंतर्द्वंद को देखते हुए यह बात बोल रहे हैं, इसे लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।

बयान को लेकर चर्चा तेज़

महाराष्ट्र की राजनीति की नब्ज जानने के मामले में आज के दौर में शरद पवार से बड़ा कद्दावर नेता शायद ही कोई है, इसलिए उनके बयान पर चर्चाएँ और समीक्षा तो होनी ही हैं। वैसे भी, बीजेपी और शिवसेना के गठबंधन के बाद से दोनों ही दलों ख़ासकर शिवसेना में पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं की जिस तरह से प्रतिक्रियाएँ देखने और सुनने को मिल रही हैं क्या पवार ने इन्हीं को आधार बना कर भविष्यवाणी की है? 

शिवसेना-बीजेपी के बीच चली लड़ाई को साढ़े चार साल तक महाराष्ट्र ने ही नहीं पूरे देश ने देखा है। दोनों ही पार्टियों के शीर्ष नेताओं ने एक-दूसरे के लिए ऐसे-ऐसे बयान दिए हैं जो आज तक इनकी विरोधी पार्टियों ने इनके लिए नहीं दिए होंगे।
  • शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान तुलजापुर में कहा था, ‘मोदी और उनकी पूरी कैबिनेट महाराष्ट्र में वोट माँगते हुए घूम रहे हैं। वह अफज़ल ख़ान की फ़ौज की तरह महाराष्ट्र जीतना चाहते हैं। लेकिन हम उनके मंसूबे कामयाब नहीं होने देंगे।’ 
  • ठाकरे ने मोदी को अफज़ल खान एक बार ही नहीं बोला। 23 जनवरी 2019 को 'सामना' के संपादकीय में भी उन्होंने बीजेपी की आलोचना करते हुए लिखा था, ‘शिवसेना ख़त्म करने का बीड़ा उठाकर महाराष्ट्र में कई सारे अफज़ल ख़ान आए और औंधे मुँह गिर गए। शिवसेना को राजनीति के मैदान में पटकने का एलान करने वाले समय के साथ ख़त्म हो गए।’ 
  • यही नहीं, उद्धव ठाकरे ने मोदी को इशारों -इशारों में चोर भी बोला था। महाराष्ट्र् के पंढरपुर में एक रैली में प्रधानमंत्री का नाम लिए बग़ैर राहुल गाँधी के नारे ‘चौकीदार ही चोर है’ को उछालते हुए मोदी पर चोट की थी और कहा था, 'ऐसा लगता है कि चौकीदार चोर हो गया है।' 
  • ठाकरे यहीं तक नहीं ठहरे थे। राम मंदिर मुद्दे पर उन्होंने अयोध्या का दौरा किया था। इस दौरे के दौरान उन्होंने एक नारा दिया, 'हर हिंदू की यही पुकार, पहले मंदिर फिर सरकार।' उन्होंने यह भी कहा था, ‘मैं कुंभकर्ण को जगाने आया हूँ और हमारा राम अभी भी वनवास में है।’ 
रिश्ते की कड़वाहट इस स्तर पर पहुँचने के बाद कुछ घंटों की शीर्ष नेताओं की बैठक और फिर दोस्ती का हाथ मिला लेने मात्र से क्या रिश्ते पूर्ववत हो जाएँगे? शायद इसका सीधा जवाब होगा नहीं?

क्या सुधर पाएँगे रिश्ते?

सवाल यह है कि तो क्या शिवसेना और बीजेपी आने वाले चुनाव तक कार्यकर्ताओं के ज़मीनी स्तर के संबंधों को सुधार पाएँगे? क्योंकि अभी जो तसवीरें बहुत से लोकसभा क्षेत्रों में दिखाई दे रही हैं उन्हें सुधारने में समय बहुत लग सकता है और तब तक लोकसभा चुनाव ख़त्म होकर 6 महीने में प्रदेश के विधानसभा चुनाव होने लगेंगे। 

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साझा चुनाव प्रचार से होगा डैमेज कंट्रोल!

शायद ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं की नाराज़गी का एहसास शीर्ष नेताओं को भी होने लगा है, इसलिए अब साझा चुनाव प्रचार कर एक संदेश देने की कोशिश भी की जा रही है। इस सिलसिले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बुधवार सुबह मुलाकात की है।  मातोश्री में हुई इस मुलाक़ात के दौरान देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे के बीच चुनाव प्रचार की रणनीति तैयार की गई। बैठक में आदित्य ठाकरे, सुधीर मुनगंटीवार, चंद्रकांत पाटिल, मिलिंद नार्वेकर और सुभाष देसाई भी मौजूद थे। 

मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे की बैठक में राज्य भर में 6 संयुक्त रैलियाँ करने का निर्णय लिया गया, जिसमें दोनों दलों के नेता मंच साझा करेंगे।

माना जा रहा है कि पहली रैली 15 मार्च को सुबह अमरावती और शाम को नागपुर में, दूसरी रैली 17 मार्च को सुबह औरंगाबाद में और शाम को नासिक में, तीसरी रैली 18 मार्च को नवी मुंबई में और पुणे में होगी। बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्टार प्रचारक होंगे। 

महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 25 पर बीजेपी और 23 सीटों पर शिवसेना चुनाव लड़ेगी। 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने 26 सीटों पर और शिवसेना ने 22 सीटों पर चुनाव लड़ा था, तब बीजेपी 23 सीटों पर और शिवसेना 18 सीटों पर जीती थी।

शरद पवार शायद यही संभावना जता रहे हैं कि शिवसेना-बीजेपी के रिश्ते सही होने में जितना समय लगेगा, हो सकता है कि उतने समय में महाराष्ट्र नव निर्माण सेना अपनी खोई हुई ज़मीन वापस तलाश ले। 

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उल्लेखनीय है कि साल 2009 के विधानसभा चुनावों में मनसे ने 13 विधानसभा सीटों में जीत का परचम फहराया था। यह मनसे का पहला चुनाव था और यह कयास लगाए जाने लगे थे कि मनसे ने शिवसेना के मराठी मानुष के मुख्य मुद्दे में सेंध लगा दी है। लेकिन उसके बाद मनसे के विधायक पार्टी छोड़-छोड़कर बीजेपी या शिवसेना में जाने लगे। पवार ने अपनी भविष्यवाणी में  इस बात का भी उल्लेख किया कि विधायकों के आने-जाने से किसी पार्टी के कमजोर और मजबूत होने का आकलन नहीं लगाया जा सकता। 
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संजय राय
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