महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ बोलने पर मराठा कोटा नेता मनोज जरांगे पाटिल को सरकार ने दो एक्शन करके उन्हें कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की है। महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने मंगलवार 27 फरवरी को मनोज के खिलाफ एसआईटी गठित करने और व्यापक जांच करने का निर्देश दिए। इससे पहले महाराष्ट्र सरकार के निर्देश पर पुलिस ने मनोज जारांगे के खिलाफ महाराष्ट्र में अराजकता फैलाने की एफआईआर दर्ज कर ली है। ये वही मनोज जारांगे पाटिल हैं, जिनसे महाराष्ट्र सरकार मराठा कोटा आंदोलन रोकने के लिए मिन्नतें कर रही थी। मराठा कोटा पर विधेयक लाई थी। लेकिन महाराष्ट्र सरकार का स्टैंड अचानक बदल गया।
मनोज जारांगे पाटिल महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन के जरिए उभरे नए युवा नेताओं में से हैं। पिछले कई साल से वो राज्य में आरक्षण को लेकर आंदोलन चला रहे हैं। उनका आंदोलन इतना जोर पकड़ गया कि महाराष्ट्र सरकार को उनसे बात करना पड़ी। लेकिन लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर आरक्षण आंदोलन भाजपा और शिंदे सेना के लिए महंगा पड़ने जा रहा है तो भाजपा ने अचानक अपना स्टैंड बदल लिया। अब भाजपा को मनोज जारांगे पाटिल की एक-एक बात पर आपत्ति हो रही है। मंगलवार को राज्य विधानसभा में यही देखने को मिला।
यह मुद्दा विधानसभा में आशीष शेलार (भाजपा) ने उठाया। उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने के लिए उकसाने वाली भाषा का लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं है. शेलार ने यह जानने की मांग की कि जारांगे के पीछे कौन है, जिसका उद्देश्य राज्य में "अशांति" पैदा करना है।
रविवार को जालना जिले के अंतरवाली सरती गांव में बोलते हुए जारांगे ने आरोप लगाया कि फडणवीस उन्हें मारने की कोशिश कर रहे हैं। मनोज ने यह भी कहा कि वह मुंबई तक मार्च करेंगे और डिप्टी सीएम के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन करेंगे। इसके बाद सरकार ने जालना और अन्य दो जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया। इस पर राज्य में कई जगह हिंसा हुई। लेकिन सरकार ने स्पष्ट किया कि यह कर्फ्यू मनोज जारांगे के मुंबई कूच के आह्वान को देखते हुए लगाया गया। यानी सरकार फडणवीस के आवास के बाहर मनोज जारांगे का प्रदर्शन नहीं होने देना चाहती।
मनोज जारांगे पाटिल ने रविवार को यह तक आरोप लगाया था कि उन्हें सलाइन के जरिए जहर देने की कोशिश की गई थी, हालांकि उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया था। लेकिन हत्या का आरोप कथित तौर पर फडणवीस पर लगाया था।
भाजपा ने मंगलवार को इसे विधानसभा में मुद्दा बनाया। विधायक शेलार ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र को अस्थिर करने और बहादुर और अनुशासित माने जाने वाले मराठा समुदाय को बदनाम करने की साजिश की जा रही है। यह सारा काम मनोज जारांगे पाटिल से लिया जा रहा है।
भाजपा विधायक शेलार ने कहा- "हम जारांगे की मांगों का समर्थन कर रहे थे, लेकिन फडणवीस के खिलाफ उनकी धमकी भरी टिप्पणियों को कैसे सहन कर सकते हैं।" इसके बाद स्पीकर नार्वेकर ने मनोज जारांगे के खिलाफ सरकार को विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित कर विस्तृत जांच कराने का निर्देश दिया। विपक्ष का कहना है कि इसमें सबसे आपत्तिजनक यह है कि मनोज जारांगे को अराजक तत्व साबित करने की कोशिश हो रही है। लेकिन फिर सरकार उनसे समझौता वार्ता कैसे चला रही थी। सच यही है कि मनोज जारांगे ने जब फडणवीस के आवास के बाहर प्रदर्शन की धमकी दी तो भाजपा डर गई और अब हाथ धोकर मनोज जारांगे के खिलाफ पीछे पड़ गई है।
फडणवीस ने एसआईटी गठित होने का विरोध नहीं किया। लेकिन विधानसभा में फडणवीस ने कहा कि उन्हें जारांगे से कोई शिकायत नहीं है। एसआईटी जांच करेगी कि जारांगे किसकी 'स्क्रिप्ट' पर अमल कर रहे हैं। जरांगे ने भले ही मुझ पर बेबुनियाद आरोप लगाए हों। लेकिन पूरा मराठा समुदाय मेरा समर्थन करता है।"
सोमवार को जारांगे ने घोषणा की थी कि वो मराठा कोटा मुद्दे पर अपना 17 दिन पुराना अनशन वापस ले रहे हैं, लेकिन उन्होंने जोर देकर कहा कि वह तब तक अपना आंदोलन जारी रखेंगे जब तक कि महाराष्ट्र सरकार उन लोगों के विस्तारित परिवार के सदस्यों को कुनबी जाति प्रमाण पत्र जारी करना शुरू नहीं कर देती, जिनके पास पहले से ही ऐसे दस्तावेज हैं। जिससे उन्हें आरक्षण का लाभ मिल सके।
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