साल 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए धमाके के मामले में ट्रायल के दौरान बड़ा खुलासा हुआ है। मंगलवार को विशेष एनआईए अदालत के सामने एक गवाह ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि महाराष्ट्र एटीएस के कुछ अधिकारियों ने उस पर दबाव बनाया था और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और आरएसएस के चार बड़े लोगों का नाम लेने के लिए कहा था। गवाह के इस खुलासे के बाद महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर से गरमा गयी है।
मालेगांव में साल 2008 में एक मसजिद के पास धमाका हुआ था। उस समय जाँच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी लेकिन जैसे-जैसे जाँच आगे बढ़ी उसके बाद फिर इस मामले की जांच को एनआईए के हवाले कर दिया गया। इस समय मालेगांव धमाके का ट्रायल एनआईए की स्पेशल कोर्ट में चल रहा है और हर रोज़ एनआईए द्वारा बनाए गए गवाह अपने बयानों से पलट रहे हैं।
ताज़ा घटनाक्रम में मंगलवार को एक और गवाह के स्पेशल एनआईए कोर्ट के जज के सामने खुलासे के बाद महाराष्ट्र की राजनीति एक बार फिर से गरमा गई है। बीजेपी ने इस मुद्दे को हाथो हाथ लपक लिया है। बीजेपी नेता राम कदम ने ‘सत्य हिंदी’ से बातचीत में कहा कि पिछले काफी समय से कांग्रेस भगवा आतंकवाद को लेकर मुखर रही थी लेकिन इस गवाह ने कांग्रेस के तमाम दावों की पोल खोल कर रख दी है। राम कदम ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार ने ही महाराष्ट्र एटीएस के अधिकारियों पर दबाव बनाया होगा कि वह भगवा आतंकवाद को लेकर बीजेपी को बदनाम कर सके। राम कदम ने मांग की है कि इस पूरे मामले पर कांग्रेस जनता से और हिंदुओं से माफी मांगे।
कांग्रेस की सरकार में तत्कालीन गृहराज्य मंत्री रहे नसीम खान का कहना है कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं और गवाहों पर दबाव बनाकर बीजेपी सरकार राजनीति कर रही है। कांग्रेस ने कभी भी इस केस से संबंधित गवाह पर कोई दबाब नहीं बनाया था।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि जब स्पेशल एनआईए कोर्ट के सामने मालेगांव धमाके का कोई गवाह अपने बयान से पलटा हो। इससे पहले भी अब तक 13 गवाह मालेगांव धमाके में अपने बयान से मुकर चुके हैं।
एनआईए ने इस पूरे मामले में क़रीब 218 गवाहों से पूछताछ की थी जिसमें से 13 गवाह अपने बयान से पलट गए। इससे कुछ दिन पहले ही एक और गवाह अपने बयान से पलट गया था। इस गवाह ने स्पेशल एनआईए जज के सामने कुबूल किया था कि महाराष्ट्र एटीएस ने उस पर जबरन दबाब डाला था कि वह कथित रूप से एक बैठक में शामिल हुआ था, जिसमें आरोपी सैन्य अधिकारी प्रसाद पुरोहित और सुधाकर द्विवेदी ने हिंदुओं के साथ हो रहे अन्याय के बारे में बात की थी।
बता दें कि महाराष्ट्र के मालेगांव में एक मसजिद के निकट 29 सितंबर, 2008 को हुए धमाके में 7 लोगों की मौत हुई थी जबकि 100 से अधिक लोग घायल हो गए थे। उसके बाद इस मामले की जांच महाराष्ट्र एटीएस ने की थी लेकिन मामला गंभीर होता देख और भगवा आतंकवाद का नाम आने पर एनआईए ने धमाके की जांच शुरू की थी। उस समय महाराष्ट्र एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को गिरफ्तार किया था। एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, रमेश उपाध्याय, समीर कुलकर्णी, पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी और अजय राहिलकर को आरोपी बनाया था।
मालेगांव में मसजिद के पास 29 सितंबर, 2008 को यह ब्लास्ट तब हुआ था जब लोग नमाज पढ़ने जा रहे थे। ये बम एक मोटरसाइकिल में रखा गया था। उस समय धमाके के पीछे कट्टरपंथी हिंदू संगठनों का हाथ होने की बात सामने आई थी और कांग्रेस ने इस मुद्दे को बढ़ा चढ़ाकर उठाया था। महाराष्ट्र एटीएस ने इस ब्लास्ट में मुख्य तौर पर चार लोगों को मुख्य आरोपी बनाया था जिनमें साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, पूर्व लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत पुरोहित, रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय और स्वामी दयानंद पांडे शामिल थे।
उस समय इन सभी आरोपियों पर यूएपीए की धारा 18 (आतंकी वारदात को अंजाम देना) और 16 (आतंकी वारदात को अंजाम देने की साजिश रचना) के अलावा विस्फोटक कानून की धारा 3, 4 , 5 और 6 के तहत आरोप तय हुए थे।
मालेगांव विस्फोट मामले की जांच के दौरान महाराष्ट्र एटीएस ने जांच में पाया था कि आरोपियों ने पहले हिंदूवादी संगठन अभिनव भारत बनाया था और उसके बाद इस धमाके को अंजाम दिया गया। कर्नल पुरोहित भी इस संगठन में शामिल हुए थे और पुरोहित पर सेना का 60 किलो आरडीएक्स चुराने का भी आरोप लगा था।
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