महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी को नया 'लुक' दिया है। पार्टी ने स्थापना के 14वें साल पर पहली बार राज्य स्तरीय अधिवेशन बुलाया और न सिर्फ़ अपने झंडे का रंग बदला बल्कि कई और बदलाव किए। पार्टी प्रमुख राज ठाकरे अब तक की अपनी सभाओं में जो पहला वाक्य 'उपस्थित मेरे मराठी बंधुओं, माताओं-बहनों ' कहकर सम्बोधित करते थे उसको बदलकर 'मेरे हिन्दू भाइयों-बहनों-माताओं' कर दिया। संकेत साफ़ हैं कि राज ठाकरे अब हिंदुत्व की हवा को साधने की कोशिश करेंगे, लेकिन क्या वह इसमें सफल हो पायेंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है? सवाल यह भी है कि क्या नए 'लुक' दे देने मात्र से ही पार्टी सफल हो जाएगी, जिसका उसे क़रीब एक दशक से इंतज़ार है?
महाराष्ट्र में हिंदुत्व के अब 3-3 ‘ठेकेदार’, राज ठाकरे कहाँ टिकेंगे?
- महाराष्ट्र
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- 24 Jan, 2020

महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी को नया 'लुक' दिया है। पार्टी ने स्थापना के 14वें साल पर पहली बार राज्य स्तरीय अधिवेशन बुलाया और न सिर्फ़ अपने झंडे का रंग बदला बल्कि कई और बदलाव किए।
2006 में राज ठाकरे ने मनसे की स्थापना की थी और उन्होंने 'मराठी मानुष' का मुद्दा ज़ोर शोर से उठाया था। यह वह दौर था जब शिवसेना 'मी मुंबईकर' अभियान चलाकर पार्टी से उस वर्ग को भी जोड़ना चाह रही थी जो मुंबई में वर्षों से रह रहे हैं और 'ग़ैर-मराठी' हैं। संदेश साफ़ था, 80 के दशक में 'राम जन्म भूमि आंदोलन' और बाबरी मसजिद ढहने के कुछ अरसे बाद मुंबई में हुए बम धमाकों और उस कारण फैले दंगों के बाद शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे की 'हिन्दू हृदय सम्राट' की विस्तारित होती छवि और उनके चाहने वालों को अपना मतदाता बनाना। मुंबई में बड़ी संख्या में 'ग़ैर-मराठी ' मतदाता रहता है और जिस पार्टी ने उस मतदाता को साधा प्रदेश में उसकी सरकार आसानी से बन जाती है। मुंबई में 36 विधानसभाएँ हैं।