महाराष्ट्र में राज ठाकरे ने अपनी पार्टी को नया 'लुक' दिया है। पार्टी ने स्थापना के 14वें साल पर पहली बार राज्य स्तरीय अधिवेशन बुलाया और न सिर्फ़ अपने झंडे का रंग बदला बल्कि कई और बदलाव किए। पार्टी प्रमुख राज ठाकरे अब तक की अपनी सभाओं में जो पहला वाक्य 'उपस्थित मेरे मराठी बंधुओं, माताओं-बहनों ' कहकर सम्बोधित करते थे उसको बदलकर 'मेरे हिन्दू भाइयों-बहनों-माताओं' कर दिया। संकेत साफ़ हैं कि राज ठाकरे अब हिंदुत्व की हवा को साधने की कोशिश करेंगे, लेकिन क्या वह इसमें सफल हो पायेंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है? सवाल यह भी है कि क्या नए 'लुक' दे देने मात्र से ही पार्टी सफल हो जाएगी, जिसका उसे क़रीब एक दशक से इंतज़ार है?