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महाराष्ट्र चुनाव से पहले ओबीसी-एससी को लुभाया, क्रीमी लेयर 15 लाख होगा?

महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन ने चुनाव से ऐन पहले एससी और ओबीसी को लेकर बड़ा दाँव खेल दिया है। हरियाणा में भाजपा की सफलता को दोहराने की उम्मीद में महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन की कैबिनेट ने गुरुवार को कई महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिनमें एससी और ओबीसी से जुड़े दो फैसले शामिल हैं। महायुति सरकार ने राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने वाले अध्यादेश को मंजूरी और केंद्र से ओबीसी में क्रीमी लेयर में शामिल होने के लिए आय मानदंड को 8 लाख रुपये प्रति वर्ष से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी है।

आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने के लिए राज्य मंत्रिमंडल ने गुरुवार को केंद्र सरकार से गैर-क्रीमी लेयर की आय सीमा को 8 लाख रुपये से बढ़ाकर 15 लाख रुपये करने की सिफारिश की। अगर केंद्र सरकार इस सिफारिश को मंजूरी देती है तो इससे सरकारी योजनाओं का लाभ अधिक लोगों को मिल सकता है। 

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2024 के लोकसभा चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन को मिले झटके के बाद यह कदम उठाया जा रहा है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के कार्यालय से जारी एक बयान में कहा गया है कि कैबिनेट ने महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए अध्यादेश के मसौदे को मंजूरी दे दी है। बयान में कहा गया है कि अध्यादेश को राज्य विधानमंडल के अगले सत्र में पेश किया जाएगा और कहा गया है कि आयोग के लिए 27 पदों को मंजूरी दी गई है।

महाराष्ट्र के ओबीसी बहुजन कल्याण विभाग के मंत्री और भाजपा नेता अतुल सावे ने लोकसभा चुनाव के बाद राज्य विधानमंडल के बजट सत्र में ओबीसी से जुड़ी यह बात कही थी। हालांकि राज्य सरकार के पास ओबीसी क्रीमी लेयर की आय सीमा बढ़ाने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन उसने केंद्र से इसकी सिफारिश की है। 

ओबीसी श्रेणी में आरक्षण का लाभ पाने के लिए गैर-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र की ज़रूरत होती है, जिसमें यह उल्लेख हो कि व्यक्ति की पारिवारिक आय निर्धारित सीमा से कम है।

तीन सप्ताह के भीतर अपनी चौथी राज्य कैबिनेट बैठक में राज्य मंत्रिमंडल ने छोटे समुदायों और अल्पसंख्यकों पर नजर रखते हुए 40 से अधिक प्रस्तावों को मंजूरी दी। 

छोटी जातियों के लिए विकास निगमों की घोषणा करने के अपने फैसलों को जारी रखते हुए मंत्रिमंडल ने गुरुवार को शिमी, गवली, लाडशाखिया वाणी-वाणी, लोहार, नाथपंथी समुदायों के लिए 50 करोड़ रुपये की शेयर पूंजी के साथ ऐसे निगमों का गठन किया। पत्रकारों और समाचार पत्र विक्रेताओं के लिए दो विशेष निगमों को मंजूरी दी गई।

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द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार मुस्लिम अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने मौलाना आज़ाद अल्पसंख्यक विकास निगम की शेयर पूंजी को मौजूदा 700 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 1,000 करोड़ रुपये करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। मंत्रिमंडल ने मदरसों में डी.एड. और बी.एड. शिक्षकों के वेतन को मौजूदा 6,000 रुपये से बढ़ाकर 16,000 रुपये और 8000 रुपये से बढ़ाकर 18,000 रुपये करने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।

ऐसे फ़ैसले तब लिए गए हैं जब राज्य में कांग्रेस, एनसीपी का शरद पवार गुट और शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट वाले विपक्षी महा विकास अघाड़ी गठबंधन ने महाराष्ट्र की 48 लोकसभा सीटों में से 30 जीतकर सत्तारूढ़ गठबंधन को चौंका दिया था। भाजपा, जिसकी संख्या पिछले आम चुनावों में 23 थी, घटकर सिर्फ नौ पर आ गई, जबकि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी सिर्फ एक सीट जीतने में सफल रही। महा विकास अघाड़ी की बड़ी जीत के कारणों में से एक यह था कि वह अपने जातिगत संयोजनों को सही करने में कामयाब रही। गुरुवार के कैबिनेट फैसलों को इसमें सेंध लगाने के तरीके के रूप में देखा जा रहा है।

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क़मर वहीद नक़वी
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