प्याज की बढ़ी हुई क़ीमतों ने देश में दो बार केंद्रीय सरकारों को अस्थिर किया है। पहला जनता पार्टी के समय मोरारजी देसाई की सरकार को और उसके बाद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में बनी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार को। एक बार फिर प्याज ने अपने चाहने वालों के आँसू निकालने शुरू कर दिए हैं। महाराष्ट्र में चुनाव हैं इसलिए यहाँ पर यह चुनावी मुद्दा बनता दिख रहा है। किसान संगठनों ने प्रदेश में 'कांदा सत्याग्रह' शुरू कर दिया है तो शरद पवार ने प्याज के निर्यात पर रोक के केंद्र सरकार के निर्णय को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 'जब किसान को दो पैसे कमाने का समय आया तो सरकार ने यह पाबंदी लगा दी।' उन्होंने कहा कि यह सरकार विरोधी है और इसके फ़ैसलों से राज्य में इस साल 16 हज़ार किसानों को आत्महत्या करनी पड़ी है।