लॉकडाउन-3 के तहत देश भर में शराब की दुकानें खुलने लगी थी। दूसरी पाबंदियाँ भी हटायी गयी थीं। पर छूट से मची अफ़रातफ़री को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने मुंबई और दूसरे इलाक़ों में लॉकडाउन में दी गयी छूट वापस ले ली है। ज़ाहिर है सरकार कोरोना संक्रमण को लेकर किसी तरह का ख़तरा मोल नहीं लेना चाहती। प्रदेश सरकार ने लॉकडाउन-3 में दो दिन की ढील के बाद फिर से जिस तरह से मुंबई और पुणे क्षेत्र में सख़्ती बरती है उससे तो ऐसा ही लगता है। मुंबई और महाराष्ट्र में कोरोना की इस लड़ाई में कई चुनौतियाँ सरकार के समक्ष हैं।
पहली चुनौती, बड़ी संख्या में प्रवासी मज़दूरों की फ़ौज है जो 40 दिन से भी अधिक से समय से कैद है और जिसके पास खाने-पीने के लिए न तो कोई पैसा बचा है और न उसे निकट भविष्य में स्थिति सामान्य होने की आशा नज़र आ रही है। घर वापसी की प्रक्रिया में उन्हें अपने नंबर का इंतज़ार है और ऐसे में किसी भी अफ़वाह या जानकारी पर उनके बड़ी संख्या में किसी भी रेलवे स्टेशन पर इकट्ठे होने का ख़तरा है।
दूसरी चुनौती, महानगर की क़रीब 60 फ़ीसदी जनसंख्या झोपड़पट्टियों में रहती है और वहाँ हालात ये हैं कि घर के सभी सदस्यों का सोना तो दूर बैठने के लिए भी पर्याप्त जगह का अभाव है। इतनी बड़ी जनसंख्या को घरों में सीमित रख पाना मुंबई पुलिस के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। यह चुनौती दिन-प्रतिदिन और गहराती जा रही है क्योंकि कोरोना की इस लड़ाई में जहाँ स्वास्थ्यकर्मी इलाज में व्यस्त हैं वहीं पुलिस पर ज़िम्मेदारी है कि वो लोगों को सड़कों पर नहीं आने दे। इस लम्बे संघर्ष का नतीजा यह हो रहा है कि पुलिस पर कार्य का दबाव बहुत बढ़ रहा है।
पुलिस बल की कमी का अहसास इस बात से होता है कि कुछ पुलिसकर्मियों ने स्वेच्छा से अपनी छुट्टियाँ नहीं लेने का निर्णय किया है। प्रदेश के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने ट्वीट कर ऐसे पुलिसकर्मियों की हौसला अफजाई भी की है।
मुंबई के जेजे मार्ग पुलिस स्टेशन के छह सब-इंस्पेक्टर समेत 12 पुलिसकर्मी सोमवार को कोरोना वायरस संक्रमित पाए गए थे। एक अधिकारी ने कहा कि 12 में से आठ पुलिसकर्मियों में बीमारी के कोई लक्षण नहीं थे। इनके संपर्क में आए 40 लोगों को एहतियात के तौर पर क्वॉरंटीन किया गया है। बता दें कि जेजे मार्ग पुलिस थाना सरकारी जेजे अस्पताल से सटा हुआ है। वहीं, रविवार को पायधुनी पुलिस थाने के छह पुलिसकर्मी, नागपाड़ा के तीन और माहिम पुलिस थाने के दो पुलिसकर्मियों में संक्रमण की पुष्टि हुई थी।
लॉकडाउन में थोड़ी शिथिलता से बड़ी संख्या में लोग शराब खरीदने या अन्य कामों से सड़क पर निकल पड़े। जिससे लोगों को नियंत्रित करने और सोशल डिस्टेंसिंग को पालन कराने पर सवाल खड़े होने लगे।
मुंबई और पुणे में लोगों के सड़कों पर घूमने की समस्या पहले लॉकडाउन से ही देखी जा रही है। बहुत से लोग सुबह शाम सैर के लिए सड़कों पर दिखते हैं तो झोपड़पट्टी क्षेत्रों में छोटे घरों की वजह से लोग घरों के बाहर जमा दिखाई देते हैं। वरली, दादर, भायखला, धारावी, कुर्ला और अँधेरी ऐसे क्षेत्र हैं जहाँ जनसंख्या घनत्व बहुत ज़्यादा है और लोगों को घरों में रख पाना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर जैसा साबित हो रहा है। ऐसे में जब लॉकडाउन में छूट की बात आयी तो बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर आ गए जिसमें शराब के खरीदारों का एक अलग ही मसला है। शराब खरीदने वालों की इस भीड़ से पुलिस भी परेशान हो गयी।
बताया जाता है कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने मुख्यमंत्री से अपील की थी कि शराब की दुकानें बंद कर इसकी बिक्री का कोई नया विकल्प ढूँढा जाए। पुलिस ने कहा था, लोगों को घरों में रख पाना ही उनके लिए एक कठिन चुनौती है, ऐसे में शराब खरीदने वालों की भीड़ को नियंत्रित करना उन पर काम का अतिरिक्त बोझ बन जाएगा। पुलिस की इस परेशानी को ध्यान में रख मुख्यमंत्री ने शराब खरीदने वालों के लिए एक ऑनलाइन फ़ॉर्म जारी किया है जिसमें खरीदार को अपनी जानकारी और किस ब्रांड की कितनी शराब चाहिए उसका विवरण भरने की बात कही गयी है। इसके पीछे यह मक़सद है कि दुकानदार खरीदारों को टोकन नंबर दे दे तथा एक बार में पाँच लोगों के टोकन नंबर घोषित कर उनके विवरण के मुताबिक़ शराब दे ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके।
मुख्यमंत्री ने मंगलवार देर शाम सभी ज़िला कलेक्टरों और महानगरपालिका आयुक्तों को आदेश दिए हैं कि लॉकडाउन में शिथिलता की वे समीक्षा अपने यहाँ की स्थिति को देखते हुए करें। किस प्रकार की दुकानों को छूट देनी है इसका वे ही निर्धारण करें, लेकिन एक बात का ध्यान रखें कि भीड़भाड़ नहीं बढ़े, लोग अनावश्यक सड़कों पर नहीं निकलें तथा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो।
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