एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद महाराष्ट्र में पैदा हुआ सियासी तूफान अब शांत हो सकता है। इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि बीजेपी और एकनाथ शिंदे गुट उद्धव ठाकरे कैंप के 15 विधायकों के खिलाफ अयोग्यता की कार्रवाई के मामले में नरम रुख अपना रहा है।
एकनाथ शिंदे गुट के चीफ व्हिप भरत गोगावले ने विधानसभा के स्पीकर राहुल नार्वेकर के सामने अर्जी दी है जिसमें शिवसेना के 15 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग की गई है।
गोगावले ने अपनी याचिका में कहा है कि इन विधायकों ने विधानसभा स्पीकर के चुनाव में उनके द्वारा जारी किए गए व्हिप का उल्लंघन किया था जिसके चलते इन सभी विधायकों की सदस्यता रद्द की जाए।
चीफ व्हिप भरत गोगावले ने कहा था कि पार्टी के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के प्रति सम्मान की वजह से आदित्य ठाकरे के नाम को इस सूची से बाहर रखा गया था। उन्होंने न्यूज़ एजेंसी एएनआई को यह जानकारी दी।
द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, बीजेपी के उच्च पदस्थ सूत्रों ने कहा है कि पार्टी इस मामले में युद्ध विराम चाहती है जिससे विधानसभा की कार्यवाही आसानी से चल सके।
हालांकि स्पीकर का चुनाव और फ्लोर टेस्ट जीतकर बीजेपी-एकनाथ शिंदे के गुट ने अपनी ताकत दिखा दी है। लेकिन उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस चाहते हैं कि इस लड़ाई को आगे ना खींचा जाए और इसे यहीं विराम दिया जाए।
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द इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े नेताओं की बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया है कि शिवसेना के भीतर हुई इस बगावत को अब खत्म किया जाए और आने वाले चुनावों में उद्धव ठाकरे गुट से लड़ाई पर ध्यान लगाया जाए।
जवाबी पलटवार का डर
बीजेपी-शिंदे गुट इस मामले में इसलिए भी नरम होना चाहता है क्योंकि अगर शिवसेना के 15 विधायकों के खिलाफ स्पीकर अयोग्यता की कार्यवाही करते हैं तो इसकी जवाबी प्रतिक्रिया हो सकती है और यह संदेश जाएगा कि बीजेपी शिवसेना को खत्म करने की कोशिश कर रही है।
फ्लोर टेस्ट जीतने के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपने भाषण में कहा कि वह बदले की राजनीति में भरोसा नहीं करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट पर नजर
दूसरी ओर, उद्धव ठाकरे का गुट इस मामले में 12 जुलाई को आने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है। उद्धव ठाकरे के गुट ने एकनाथ शिंदे के साथ गए विधायकों को अयोग्य ठहराने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लगाई है।
सोमवार को हुए फ्लोर टेस्ट के दौरान यह बात देखने को मिली कि उद्धव गुट के विधायकों ने खुलकर विरोध नहीं किया और इससे फ्लोर टेस्ट की प्रक्रिया आसानी से हो सकी।
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