क्या महाराष्ट्र में सरकार बनाने का संघर्ष आने वाले दो दिनों में समाप्त होगा और क्या नई सरकार के गठन का रास्ता साफ़ हो जाएगा? कांग्रेस के खेमे से मिल रही ख़बरों से तो ऐसा ही कुछ महसूस हो रहा है। ऐसी ख़बर मिली है कि कांग्रेस के विधायकों ने पार्टी हाईकमान को चेताते हुए कहा है कि सरकार गठन को लेकर जल्द से जल्द फ़ैसला लें। इन विधायकों ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी से शिवसेना के साथ सरकार बनाने को लेकर निर्णय लेने के लिए कहा है।
सूत्रों ने बताया कि महाराष्ट्र कांग्रेस इकाई ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को चेताया है कि सरकार गठन में देरी से नुक़सान हो सकता है। महाराष्ट्र कांग्रेस कोर कमेटी के नेताओं ने सूत्रों को बताया, ‘हमने सभी विधायकों की इच्छा हाईकमान को पहले ही बता दी थी। 41 विधायक सरकार में शामिल होने के पक्ष में हैं जबकि 3 विधायक शिवसेना के साथ जाने के खिलाफ हैं। मुंबई के अमीन पटेल, वर्षा गायकवाड़ और ग्रामीण इलाके के एक विधायक ने गठबंधन नहीं करने की बात कही है।’
कांग्रेस के विधायकों की चेतावनी इस बात की ओर इशारा कर रही है कि कहीं ख़रीद-फरोख़्त का खेल तो नहीं शुरू हुआ है? पिछले तीन-चार दिनों से सोशल मीडिया और वॉट्सएप ग्रुपों में इस बात की ख़बरें हैं कि कुछ औद्योगिक घराने सरकार बनाने की पहल शुरू कर चुके हैं। कांग्रेस हाई कमान इस बात को कितनी गंभीरता से लेता है यह तो कुछ दिनों में पता चल जाएगा लेकिन शरद पवार के बाद अहमद पटेल और मल्लिकार्जुन खड़गे की सोनिया गाँधी से मंगलवार को हुई मुलाक़ात के बाद यह संकेत मिलने लगे हैं कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने की तसवीर आने वाले एक-दो दिनों में साफ़ हो जाएगी।
महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी से मुलाक़ात की थी। जबकि सोनिया गाँधी ने महाराष्ट्र में सरकार के गठन को लेकर जारी गतिरोध पर मंगलवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, ए.के. एंटनी और मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ बैठक की। सूत्रों के अनुसार, जो ख़बर मिली है उसमें कांग्रेस-एनसीपी साझा न्यूनतम कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के लिए एक-दो दिनों में दिल्ली में बैठक करने वाली हैं। शिवसेना के साथ चर्चा के लिए पहले दोनों पक्षों के शीर्ष नेतृत्व द्वारा अंतिम मसौदा तैयार किया जाएगा।
शरद पवार की सोनिया गाँधी से मुलाक़ात के फौरन बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर कहा था कि दोनों पार्टियों के नेता आगे की रणनीति पर चर्चा करेंगे। मंगलवार को कांग्रेस पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की जयंती कार्यक्रम में व्यस्त रही इसलिए सरकार बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई। लेकिन इस बात का अंदाजा लगाया जा रहा है कि बुधवार या गुरुवार को कोई बड़ा फ़ैसला हो सकता है।
संघ प्रमुख ने दी नसीहत
इस बीच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने इशारों-इशारों में बीजेपी और शिवसेना को नसीहत दी है। भागवत ने नागपुर में एक कार्यक्रम के दौरान कहा, 'सब जानते हैं कि स्वार्थ बहुत ख़राब बात है लेकिन अपने स्वार्थ को बहुत कम लोग छोड़ते हैं। देश का उदाहरण लीजिए या व्यक्तियों का। सब मानव जानते हैं कि प्रकृति को नष्ट करने से हम नष्ट हो जाएंगे पर प्रकृति को नष्ट करने का काम थमा नहीं। सब जानते हैं कि आपस में झगड़ा करने से दोनों की हानि होती है लेकिन आपस में झगड़ा करने की बात अभी तक बंद नहीं हुई।'
भागवत के इस बयान को शिवसेना और बीजेपी, दोनों के लिए नसीहत के रूप में देखा जा रहा है। उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र में सरकार के गठन पर सियासी जोर-आजमाइश के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने मोहन भागवत से दखल देने की अपील की थी। यही नहीं, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के दरबार में भी उन्होंने हाजिरी लगाई थी। फडणवीस ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी व अन्य बीजेपी नेताओं से इस मामले में मध्यस्थता के लिए आगे आने को कहा था।
दिल्ली में जहां कांग्रेस और एनसीपी सरकार बनाने की संभावनाओं पर बैठकें कर रहे हैं, वहीं शिवसेना और बीजेपी के बीच वाकयुद्ध जारी है। शिवसेना अपने मुखपत्र 'सामना' में और उसके प्रवक्ता संजय राउत ट्विटर पर और अपने बयानों से बीजेपी पर हमला कर रहे हैं।
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