एनसीपी नेता अजीत पवार पार्टी से बाग़ावत कर बीजेपी की सरकार बनाने क्यों चले गए? वह भी वैसे समय में जब वह एनसीपी के विधायक दल के नेता चुन लिए गए थे, शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी की सरकार बनने वाली थी और उनको कोई बड़ा पद मिलने की उम्मीद थी। ऐसे समय में क्यों चले गए जब उनको बीजेपी में शामिल होने के लिए विधायकों का पर्याप्त समर्थन भी नहीं था और ऐसे में बीजेपी की सरकार पर ही तलवार लटकती दिखने वाली थी? क्या अजीत पवार सिर्फ़ उप-मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी के साथ चले गए? बहुत संभव था कि शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी सरकार में भी उन्हें उपमुख्यंत्री का पद मिलता। क्या इसकी वजह कोई और है? शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया है कि अजीत पवार ईडी से डरे हुए हैं। कई और नेताओं ने भी ऐसे ही आरोप लगाए। तो क्या सच में ऐसा है?